किसान आंदोलन को लेकर सख्त हुआ SC, मोदी सरकार दिया सिर्फ दो सप्ताह का समय

कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने डर जाहिर किया है। इस आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जाहिर करते हुए  केंद्र सरकार से पूछा है की क्या इस आंदोलन में कोरोना नियमों का पालन हो रहा है। सर्वोच्च अदालत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबड़े ने कहा की इस आंदोलन ने तबलीगी जमात की तरह ही दिक्कत हो सकती है।

सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर हुई सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यह चिंता उस याचिका पर सुनवाई करते हुए जाहिर की, जिसे कोरोना काल के शुरू में , निजामुद्दीन स्थित मरकज में हुए तबलीगी जमात की बैठक को लेकर दायर किया गया था। इस याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने निजामुद्दीन मरकज में विदेशी प्रतिनिधियों के साथ बड़ी संख्या में लोगों को इकट्ठा होने की अनुमति देकर लाखों नागरिकों के स्वास्थ्य को खतरे में डाला था।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमें बताएं कि क्या हो रहा है? मुझे नहीं पता कि किसान कोविड से सुरक्षित हैं या नहीं, किसानों के विरोध प्रदर्शन में भी यही समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हम हालात के बारे में जानने की कोशिश करेंगे।

याचिकाकर्ता के वकील परिहार ने कहा कि मौलाना साद का अभी तक पता नहीं चल पाया है। मौलाना साद के ठिकाने के बारे में कोई बयान नहीं दिया गया। इस पर सीजेआई एसए बोबड़े ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहे हैं कि कोविड नहीं फैले। जारी किए गए दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित करें।

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सीजेआई एसए बोबड़े ने केंद्र से पूछा कि विरोध कर रहे किसान क्या कोविड के प्रसार को रोकने के लिए एहतियाती कदम उठा रहे हैं? आपने मरकज की घटना से क्या सीखा है? कोरोना से बचाव सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते के अंदर जवाब मांगा है।