योग गुरु बाबा रामदेव की दिव्य फार्मेसी की 5 दवाओं के उत्पादन पर लगी रोक को हटा दिया गया है। उत्तराखंड आयुर्वेद और यूनानी लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने दवाओं के उत्पादन को रोकने के आदेश को रद्द कर दिया है। दिव्य फार्मेसी की जिन दवाओं के उत्पादन पर रोक लगाई गई थी, वे डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, घेंघा, ग्लूकोमा और हाई कोलेस्ट्रोल के उपचार के लिए हैं।
दवाओं के लिए जारी किए गए पहले के आदेश में संशोधन करते हुए प्राधिकरण ने शनिवार (12 नवंबर, 2022) को एक नया आदेश जारी कर फर्म को इन दवाओं का उत्पादन जारी रखने की अनुमति दी। 9 नवंबर के पिछले आदेश में एक त्रुटि थी, जिस कारण उसको संशोधित किया गया है। राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के ड्रग कंट्रोलर जीसीएन जंगपांगी ने कहा कि यह जल्दबाजी में जारी किया गया था। जंगपांगी ने कहा, “हमें आदेश जारी करने से पहले कंपनी को अपना रुख स्पष्ट करने के लिए समय देना चाहिए था।”
इन दवाओं के उत्पादन पर लगा था प्रतिबंध
9 नवंबर को जिन दवाओं के उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया था, उनमें BPgrit, मधुग्रित, थायरोग्रिट, लिपिडोम और आईग्रिट गोल्ड टैबलेट का नाम शामिल है। पतंजलि (Patanjali) की दिव्य फार्मेसी का दावा है कि ये दवाएं डायबिटीज, ब्लडप्रेशर, घेंघा, ग्लूकोमा और हाई कोलेस्ट्रोल का उपचार करती हैं। डॉ जीसीएन जंगपांगी ने कहा कि निदेशालय द्वारा जारी पिछले आदेश में संशोधन करके दवाओं के उत्पादन को पहले की तरह जारी रखने की अनुमति दी गई है।
Patanjali के प्रवक्ता ने दी प्रतिक्रिया
प्रतिबंध हटाने के आदेश के बाद, पतंजलि के प्रवक्ता एसके तिजारीवाला ने शनिवार को कहा, “हम आयुर्वेद को बदनाम करने के इस तर्कहीन कृत्य का संज्ञान लेने और त्रुटि को समय पर ठीक करने के लिए उत्तराखंड सरकार के विनम्रतापूर्वक आभारी हैं।” कंपनी ने एक बयान में आगे कहा कि 30 वर्षों के निरंतर प्रयास और शोध के माध्यम से पतंजलि संस्थानों ने दुनिया में पहली बार अनुसंधान और साक्ष्य-आधारित दवा के रूप में आयुर्वेदिक दवाओं की स्वीकृति उत्पन्न की है।
बता दें कि जुलाई में केरल के नेत्र रोग विशेषज्ञ केवी बाबू ने शिकायत की थी कि कंपनी इन दवाओं को बीमारियों के उपचार के रूप में प्रचारित करके ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954 और ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 और नियम 1945 का उल्लंघन कर रही है। बाबू ने 11 अक्टूबर को एक ईमेल के जरिए राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण (एसएलए) को एक और शिकायत भेजी।
यह भी पढ़ें: AAP नेता का हाइटेंशन तार पर ‘हाईवोल्टेज’ ड्रामा, इस बात की थी नाराजगी
इसके बाद 9 नवंबर को प्राधिकरण ने फार्मेसी को निर्देश देकर तत्काल प्रभाव से मीडिया में भ्रामक और आपत्तिजनक विज्ञापनों को हटाने को कहा और भविष्य में भी ऐसा नहीं करने के लिए कहा। पतंजलि ने आदेश पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और उनकी छवि खराब करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की धमकी भी दी।