सनक, पत्नी की तलाश और तलाकशुदा पर रौब जमाने के लिए राहिल बना था रॉ एजेंट, बड़बोलेपन ने करवाया गिरफ्तार

लखनऊ: ज्यादा शक्तिशाली बनने की सनक ने रॉ के कथित एजेंट राहिल परवेज को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है। पूछताछ के बाद यह तथ्य भी निकलकर सामने आए कि आरोपी ने फर्जी आईडी का इस्तेमाल कर न सिर्फ भरपूर लाभ लिया बल्कि उसका कई जगहों पर गलत इस्तेमाल भी किया। पूरे दिन एटीएस, आईबी, एसओजी, एसआईओ, एसएसबी, एलआईयू और सर्विलांस समेत कई अन्य टीमों ने राहिल से पूछताछ की।

इस पूरे मामले में एजेंसियों ने राहिल परवेज को दोषी मानते हुए विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है। एसपी प्रदीप गुप्ता के अनुसार गिरफ्तार राहिल परवेज जो कि अशोक विहार कॉलोनी, थाना सारनाथ, वाराणसी के खिलाफ लोक सेवक का बनावटी रूप धारण कर गलत काम करने, फर्जीवाड़ा, कूटरचित दस्तावेज के आधार पर अनैतिक कार्य, आर्म्स एक्ट के तहत मुकदमा पंजीकृत कर चालान कर दिया।

फर्जी आईडी को ढाल की तरह किया इस्तेमाल

राहिल के पास मिली नकली बंदूक और इस तरह से उसके फर्जी रॉ एजेंट बनने के पीछे भी एक कहानी है। दरअसल बीते वर्ष अगस्त में उसकी पत्नी पुत्र को साथ में लेकर किसी अन्य व्यक्ति के साथ फरार हो गई। जिसके बाद उसके सिर पर खून सवार हो जाता है। वहीं इस बीच उसकी मुलाकात एक तलाकशुदा लड़की से होती है। उस लड़की को प्रभावित करने के साथ ही अपनी पत्नी और बच्चे की तलाश के लिए उसने फर्जी आईडी और नकली बंदूक को ढाल बनाया था।

बड़बोलापन बना गया कारण और चढ़ा हत्थे

हिरासत में लिए गए दोनों ही संदिग्ध अपने बचकानेपन की वजह से एजेंसियों के निशाने पर आए। दोनों बाईपास के होटल पर जब खाना खा रहे थे उस समय भी उन्होंने रौब गांठने के लिए खुद को रॉ का बड़ा अधिकारी बताया। इसी के साथ बड़ी-बड़ी बाते करते हुए वहां मौजूद लोगों को अपनी फर्जी आईडी दिखाई। इस बीच ही वहां मौजूद सुरक्षा एजेंसी के एजेंट ने भी राहिल के बड़बोले पन की बातों को सुना और अधिकारियों को उसके बारे में अवगत करवाया। इसके बाद ही वह एजेंसियों के निशाने पर आ गया। 24 घंटे उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जाने लगी। इसी बीच छापा मारते हुए उन दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया।

‘भारत के साथ हमारे संबंध सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण’, 2+2 बैठक से पहले अचानक क्यों बदले बाइडेन के सुर?

गूगल से सर्च कर बनवाई गई थी आईडी

राहिल ने पूछताछ में बताया कि फिल्मों को देख उसके मन में रॉ एजेंट बनने की बात आई। उसने गूगल पर सर्च कर तमाम सुरक्षा एजेंसी के आईडी कार्ड को देखा। उन्हीं आईडी कार्ड को डाउनलोड कर उसने अपने नाम से बना लिया।