मुफ्त शिक्षा के मौलिक अधिकार को पीएम के लिखे गए पोस्टकार्ड

राष्ट्रीय बालिका दिवस पर सोमवार को यहां हमीरपुर जिले में स्वयंसेवी संस्था के तत्वाधान में सैकड़ों बालिकाओं ने कक्षा 12वीं तक की अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा के मौलिक अधिकार को लेकर बड़ी मुहिम छेड़ी है। बालिकाओं ने पोस्टआफिस आकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पोस्टकार्ड लिखकर पोस्ट किया है।

समर्थ फाउन्डेशन संस्था के सचिव देवेन्द्र गांधी ने बताया कि अन्तर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर कुरारा व मौदहा सहित कई क्षेत्र की गांवों की बालिकाओं ने कक्षा बारहवीं तक की मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराए जाने के लिए आज बड़ी मुहिम छेड़ी है। सैकड़ों बालिकाओं ने प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड लिखकर भेजा है। संस्था के सचिव ने बताया कि हमीरपुर में पोस्टआफिस में गांवों से आई बालिकाओं ने अपने हाथों पीएम को पोस्टकार्ड में अपनी बातें लिखी है।

उन्होंने बताया कि यदि बारहवी तक की शिक्षा मुफ्त और अनिवार्य हो जाए तो अनेक बालिकाएं अपनी शिक्षा पूरी कर सकती है। क्योंकि निजी स्कूलों की फीस और कक्षा आठवीं के बाद सरकारी स्कूल न होने के कारण बालिकाओं की आगे की शिक्षा बीच में छूट जाती है।

स्कूल भी गांव से 12 किमी की दूरी होने के कारण भी बालिकाएं तमाम दिक्कतें देख घर बैठ जाती है। बताया कि हमीरपुर के अलावा बुन्देलखंड के सभी सातों जिलों में यह मुहिम चलाकर बालिकाओं ने डाकखाने में एकत्र होकर सामूहिक रूप से पीएम को पोस्टकार्ड लिखकर भेजा है।

गौरतलब है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई), 2009 प्रारंभिक शिक्षा को 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मौलिक अधिकार बनाता है। इसके कार्यान्वयन के एक दशक के अनुभव से पता चला है कि इसके कार्यान्वयन में कई कमियों के बावजूद, प्राथमिक और उच्च प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के लिए कानूनी जनादेश होने के कारण राज्यों ने इसे लागू करने के लिए दिशा-निर्देश जारी किये हैं तथा कार्यान्वयन के प्रयास भी हुए हैं।

हालांकि यू डाइस डाटा 2019-20 के मुताबिक कानून लागू होने के 11 साल बाद भी राष्ट्रीय स्तर पर महज 25.5 फीसदी स्कूलों में ही कानून लागू हो पाया है। यह आंकड़ा बिहार और उत्तर प्रदेश में क्रमशः 11.1 और 27.7 फीसदी है। जाहिर है, न केवल इस कानून के क्रियान्वयन के लिए बजट में बढ़ोत्तरी के साथ एक ठोस रोडमैप की जरूरत है, बल्कि कानून के दायरे को बढ़ा कर 03 से 19 वर्ष तक करने और इस तरह से देश के करोड़ों बच्चों के लिए शिक्षा के मौलिक हक की गारंटी करने की जरूरत है।

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शिक्षा के अधिकार के विस्तार के अंतर्गत, लड़कियां अपने लिए अनिवार्य स्कॉलरशिप की भी मांग कर रही हैं साथ ही माध्यमिक स्कूल 05 किमी के भीतर उपलब्ध हो, स्कूल जाने और वापस आने के दौरान सुरक्षा के उपाय और शिक्षा के लिए बजट और मानव संसाधनों के आवंटन में वृद्धि की मांगे प्रधानमंत्री के सामने रख रही हैं।