Justice Shri T.S. Doabia presenting the report of the Committee set up to study and suggest changes required in the existing River Board Act, 1956 for Optimal Development of a River Basin to the Union Minister for Water Resources, Shri Harish Rawat, in New Delhi on November 06, 2012.

उत्तराखंड में चल रही है उठापटक की राजनीति, नेता दे रहे हैं पार्टी को चुनौती

उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव के मौसम को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा के नेताओं पर इन दिनों अवसरवादिता का भूत सवार है। इसमें चाहे कांग्रेस नेता हरीश रावत हों या फिर भाजपा नेता डॉ. हरक सिंह रावत। दोनों ने ही प्रकारान्तर में अपने नेतृत्व को चुनौती देते हुए अपने अस्तित्व का अहसास कराया।

हरीश रावत ने आला कमान के विरुद्ध एक ट्वीट किया और अब वह चुनाव अभियान समिति के सर्वेसर्वा हो गए हैं हालांकि वह पहले भी चुनाव अभियान समिति के प्रमुख थे। उत्तराखंड के प्रभारी देवेंद्र यादव, जिनके खिलाफ हरीश रावत का मुख्य अभियान था, हालांकि वह अभी भी यथावत बने हुए हैं। ठीक यही स्थिति हरक सिंह रावत ने की और इस्तीफे का शिगूफा छोड़कर अपनी स्वप्निल परियोजना को पूर्ण करा लिया।

डा. हरक सिंह की धमकी से हिल गया भाजपा आलाकमान-

बीते दिन यानि शुक्रवार की देर शाम कैबिनेट की बैठक में इस्तीफे की धमकी देकर काबीना मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत ने दून से दिल्ली तक भाजपा को हिला कर रख दिया। रात भर चले हाई वोल्टेज ड्रामा के बाद सुबह खबर आई कि गए डॉ. हरक सिंह मान गए हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि पार्टी में सब कुछ ऑल वेल है, सब चकाचक है। परिवार का मामला था कोई विवाद नहीं है।

कांग्रेस के हरीश रावत भी ऐसा ही कर चुके हैं-

इससे ठीक एक दिन पूर्व कांग्रेस नेता हरीश रावत ने अपने एक ट्वीट से कांग्रेस को झकझोरने का काम किया था। इसके बाद प्रदेश कांग्रेस के सभी नेताओं को दिल्ली तलब किया गया और शाम को खबर आई कि कदम-कदम बढ़ाए जा, कांग्रेस के गीत गाए जा,यह जिंदगी है कांग्रेस की कांग्रेस पर लुटाए जा। मुख्यमंत्री का चेहरा बनाए जाने की जिद पर अड़े हरीश रावत के कान में ऐसा क्या कुछ हाईकमान ने कह दिया कि वह संन्यास लेते-लेते फिर कांग्रेस के गीत गाते हुए दिल्ली से दून आ गए।

उत्तराखंड में लंबे समय से चल रहा है यह दौर-

लंबे समय से सूबे की राजनीति में उठापटक का दौर चल रहा है। कई कांग्रेस के नेता भाजपा के पाले में जा चुके हैं और कई भाजपा के नेता पाला बदलकर कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। राजनीतिक गलियारों में अभी इस बात की चर्चा आम है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच चलने वाली यह उठापटक जारी रहेगी। भाजपा के शीर्ष नेता भले ही अभी डॉ हरक सिंह को मनाने में सफल हो गए हों, लेकिन डॉ हरक सिंह जो अभी भी मीडिया के सामने नहीं आए हैं। उनके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है कि वह कब क्या करेंगे? और न कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के बारे में कुछ कहना संभव है।

अभी पूरी पिक्चर आना बाकी है-

वर्तमान में जो हो रहा है, वह तो ट्रेलर है। पिक्चर तो अभी बाकी है। वर्तमान हालत को देखते हुए यह तय माना जा रहा है कि अभी सूबे की राजनीति में बड़ी उठापटक बाकी है, जिसकी पटकथा लंबे समय से लिखी जा रही है। हालांकि चुनाव आते-आते कुछ और नेता अपनी अस्मिता का एहसास कराने के लिए ऐसे ही प्रयास करेंगे। चर्चा तो यहां तक है कि कांग्रेस से भाजपा में आए छह नेता चुनाव के समय कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं।

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काऊ और डा. हरक संगठन के साथ होने की कह रहे हैं बात-

हालांकि इन कयासों को भाजपा विधायक उमेश शर्मा काऊ पूरी तरह गलत बताते हैं। उनका कहना है कि कई बार अपनी मांगों को मनवाने के लिए संगठन पर प्रभाव जमाना होता है और मांगे पूर्ण करानी होती है, लेकिन हम सब पूरी तरह संगठन के साथ हैं और संगठन के सिपाही के रूप में काम करते रहेंगे। ठीक इसी तरह की बात डा. हरक सिंह रावत ने भी की है। उनका कहना है कि वह पार्टी के प्रमुख कार्यकर्ता हैं और पार्टी के सदैव समर्पित रहेंगे। समर्पण और सिपाही की चर्चा आज चल रही है, लेकिन आने वाले दिनों में इसका क्या परिणाम होगा यह समय ही बताएगा।