यूपी में शिक्षकों की मौत पर फिर मची सियासी हलचल, विपक्ष ने मिलकर अलापा एक राग

उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण से मृत शिक्षकों को मुआवजा देने को लेकर राजनीति गरमा गयी है। कांग्रेस,सपा और बसपा ने एक सुर में कहा कि पंचायत ड्यूटी के दौरान संक्रमण की चपेट में आकर मृत शिक्षकों के परिजनो को मुआवजा देने से सरकार पीछे हट रही है वहीं प्रदेश सरकार ने विपक्ष पर ओछी राजनीति करने का आरोप लगाया है।

दरअसल,प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री की तरफ से मंगलवार को कहा गया था कि कोरोना ड्रयूटी के दौरान मृत तीन शिक्षकों की सूची उनके पास जिलों से आयी है जिनको मुआवजे की रकम दी जायेगी। उधर, शिक्षक संघ और विपक्ष का तर्क है कि पंचायत ड्यूटी के दौरान एक हजार से अधिक शिक्षक संक्रमित हुये है जिनकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गयी। ऐसे सभी शिक्षकों के आश्रितों को मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी देनी चाहिये।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट किया “ उप्र की निष्ठुर भाजपा सरकार मुआवज़ा देने से बचने के लिए अब ये झूठ बोल रही है कि चुनावी ड्यूटी में केवल 3 शिक्षकों की मौत हुई है जबकि शिक्षक संघ का दिया आँकड़ा 1000 से अधिक है। भाजपा सरकार ‘महा झूठ का विश्व रिकॉर्ड’ बना रही है। परिवारवालों का दुख ये हृदयहीन भाजपाई क्या जानें।”

बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा “ यूपी में पंचायत चुनाव की ड्यूटी निभाने वाले शिक्षकों व अन्य सरकारी कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण से मौत की शिकायतें आम हो रही हैं, लेकिन इनकी सही जाँच न होने के कारण इन्हें उचित सरकारी मदद भी नहीं मिल पा रही है, जो घोर अनुचित। सरकार इस पर तुरन्त ध्यान दे। ”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा “ पंचायत चुनाव में ड्यूटी करते हुए मारे गए 1621 शिक्षकों की उप्र शिक्षक संघ द्वारा जारी लिस्ट को संवेदनहीन यूपी सरकार झूठ कहकर मृत शिक्षकों की संख्या मात्र 3 बता रही है। शिक्षकों को जीते जी उचित सुरक्षा उपकरण और इलाज नहीं मिला और अब मृत्यु के बाद सरकार उनका सम्मान भी छीन रही है।”

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आप के प्रदेश अध्‍यक्ष सभाजीत सिंह ने कहा कि पंचायत चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमण से सिर्फ तीन शिक्षकों की मौत का दावा करना सरकार की संवेदनहीनता का प्रत्‍यक्ष प्रमाण है। शिक्षकों के लिए ड्यूटी के दौरान सुरक्षा के इंतजाम नहीं थे। चुनाव ड्यूटी के दौरान संक्रमित होकर जिन 1621 शिक्षकों-कर्मचारियों की मौत हुई थी, शिक्षक संगठनों की इस रिपोर्ट को खारिज करके सरकार सिर्फ तीन लोगों के दम तोड़ने की बात कह रही है। यह शर्मनाक है।

कर्मचारी नेता हरिकिशोर तिवारी ने कहा कि सरकार के आदेश को मानते हुए प्रदेश के शिक्षक और कर्मचारी चुनाव ड्यूटी कराने गए। अधिकाधिक कर्मचारियों को न संसाधन न किट उपलब्ध नही कराई गई। ऐसे में कोरोना काल में मृत्यु का शिकार हुए शिक्षकों के परिजनों के आंसू पोछने की जगह जो आंकड़े दे रहे है उससे शिक्षक कर्मचारी आक्रोशित है। जो शिक्षकों की मृृत्यु का आंकड़ा शासन ने जारी किया है उसे केवल झाॅसी के जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा झाॅसी में कोरोना से मृत्यु का शिकार हुए कर्मचारी शिक्षकों की सूची ही झूठा साबित कर रही है। आठ मई को जारी इस सूची में जिला निर्वाचन अधिकारी ने मृतक शिक्षको की संख्या दस बताई है।

इस संबंध में बेसिक शिक्षामंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि कुछ शिक्षक संगठनों के पदाधिकारी शिक्षकों की हुई मृत्यु 1621 बता रहें हैं,जो पूर्णतया गलत और निराधार है। इसी भ्रामक सूचना के आधार पर विपक्ष के नेता ओछी राजनीति कर रहें हैं।

उन्होने कहा कि जिलाधिकारियों ने केवल तीन शिक्षकों की मौत की सूचना निर्वाचन आयोग की दी है,उनके साथ हमारी पूरी संवेदना है, उनके आश्रितों को 30 लाख रुपये की अनुग्रह राशि और सरकारी नौकरी तथा अन्य देयकों के भुगतान प्राथमिकता के आधार पर होगा।