‘आदिपुरुष’ पर दिल्ली हाईकोर्ट में PIL: स्‍क्रीनिंग पर रोक की मांग, सोशल मीडिया पर जमकर फजीहत

फिल्‍म आदिपुरुष 16 जून को रिलीज होने के साथ ही विवादों में घिर गई है। इसकी स्‍क्रीनिंग को रोकने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की तरफ से एक याचिका दाखिल की गई है। इस PIL में फिल्म के कई सीन, डायलॉग और किरदारों को हटाने की मांग की गई है।

विष्णु गुप्ता ने याचिका में कहा कि फिल्म में हमारे आराध्य देवताओं का गलत तरीके से चित्रण किया गया है, जोकि आपत्तिजनक है। इसलिए, ऐसी फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगनी चाहिए। याचिका में कहा गया कि जिस तरीके से फिल्म आदिपुरुष में भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी का चित्रण किया गया है, वो महर्षि वाल्मीकि की रामायण और तुलसीदास की रामचरितमानस से सीधे विपरीत है। डायरेक्‍टर ओम राउत की इस फिल्म से हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंची है। फिल्म में जिस तरह से तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की गई है, उसे देखकर हमारा मन चिंतित और व्यथित है।

PIL को लेकर कही गई ये बात

हिंदू सेना की दायर याचिका में ये भी कहा गया कि ये PIL उन लोगों की ओर से भी दायर है, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं या किसी कारण कोर्ट कचहरी आने में असमर्थ हैं। चूंकि, भावनाएं उनकी भी आहत हुई हैं और इसलिए ये PIL उन्हें भी रिप्रजेंट करती है। फिल्‍म आदिपुरुष की टीम को इस मामले में सूचना और प्रसारण मंत्रालय को चार अक्टूबर तक जवाब देना था। हालांकि, आज तक उनका जवाब नहीं आया।

बता दें कि फिल्म के डायलॉग पर सबसे ज्यादा विवाद है। इसके लिए फिल्म के राइटर और डायरेक्टर ट्रोल हो रहे हैं। इस फिल्‍म को लेकर सोशल मीडिया पर बायकॉट ट्रेंड देखने को मिल रहा है। बायकॉट कर रहे लोगों का कहना है कि फिल्म में रामायण को मॉडर्न तरीके से दिखाया गया है, जोकि इस ऐतिहासिक पौराणिक कथा की मर्यादा को ताड़-ताड़ कर रहा है।

फिल्म के कुछ कॉन्ट्रोवर्शियल डायलॉग्‍स:

1- “कपड़ा तेरे बाप का! तेल तेरे बाप का! जलेगी भी तेरे बाप की”

2- “तेरी बुआ का बगीचा है क्या, जो हवा खाने चला आया”

3- “जो हमारी बहनों को हाथ लगाएगा, उनकी लंका लगा देंगे”

4- “आप अपने काल के लिए कालीन बिछा रहे हैं”

5- “मेरे एक सपोले ने तुम्हारे शेषनाग को लंबा कर दिया, अभी तो पूरा पिटारा भरा पड़ा है”

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इन डायलॉग्स को लिखने वाले राइटर मनोज मुंतशिर को भी सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है। लोग उनसे सवाल कर रहे हैं कि ऐसे संवाद रामायण के किस वर्जन में लिखे हैं। क्या रामायण में ऐसे शब्दों का कहीं उल्लेख है?