पतंजलि शहद में 80% मिला चीनी सिरप, यूजर बोले- बाबा जी तो खुद भालू की ड्रेस पहन..

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (CSE) ने बुधवार को शहद की मिलावट को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें 13 बड़े ब्रांड के शहद की जांच में 10 कंपनियों के शहद शुद्धता के पैमाने पर खरे नहीं उतरे। रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि इनमें से ज्यादातर ब्रांड अपने शहद में चीन से आने वाले शुगर सिरप की मिलावट करते हैं।

हैरान कर देने वाली बात तो ये थी कि अध्ययन में कहा गया कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे। इस रिपोर्ट के बाद इनमें से ज्यादातर कंपनियों का कहना है कि वे 100 प्रतिशत शुद्ध शहद बेचती हैं, तो वहीं पतंजलि के सीईओ बालकृष्ण ने तो इसे इंडस्ट्री को बदनाम करने की साजिश तक करार दे दिया।

हालांकि, इस पर सोशल मीडिया यूजर्स ने बड़े ब्रांड्स को आड़े हाथों लिया है। दारा भूपेंद्र सिंह नाम के एक यूजर ने ट्विटर पर लिखा, “और यह हैं ढोंगी बाबा रामदेव की करतूत। इस संघी मास्टरमाइंड के ड्रामे कभी ख़त्म नहीं होते। खुद जहर घोल रहा है शहद में।”

वहीं, शहबाज हैदर अली नाम के यूजर ने लिखा, “पतंजलि शहद में 80% चीनी सिरप मिला और पंतजलि का नारा स्वदेशी का है।” इस पर अमित शुक्ला ने कहा, “बाबा जी तो खुद भालू की ड्रेस पहन कर जंगल में शहद इकट्ठा करने जाते थे!”

क्‍या है मामला?

दरअसल, सीएसई ने बुधवार को दावा किया कि देश में कई प्रमुख ब्रांड द्वारा बेचे जाने वाले शहद में चीनी शरबत की मिलावट पाई गई है। अपने अध्ययन में सीएसई ने तीन कंपनियों के ब्रांड का उल्लेख किया है। अध्ययन में कहा गया है कि डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय जैसे प्रमुख ब्रांड के शहद के नमूने एनएमआर (न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस) परीक्षण में विफल रहे।

खोज में यह तथ्य मिलने का दावा

77 प्रतिशत नमूनों में शुगर सिरप के साथ अन्य मिलावट पाए गए।

कुल जांचे गए 22 नमूनों में केवल पांच ही सभी परीक्षण में पास हुए।

शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडू, हितकारी और एपिस हिमालय सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए।

13 ब्रांड्स में से सिर्फ 3- सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए।

भारत से निर्यात किए जाने वाले शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है, जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी।

मिलावटी बाजार का फैलाव

सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने कहा कि हमने जो भी पाया वह चौंकाने वाला था। यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यापार कितना विकसित है, जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाले परीक्षणों से आसानी से बचा लेता है। हमने पाया कि शुगर सिरप इस तरह से डिजाइन किए जा रहे कि उनके तत्वों को पहचाना ही न जा सके।

पतंजलि ने बताई साजिश

CSE के दावे पर पतंजलि आयुर्वेद के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि ‘यह प्रसंस्कृत शहद को बढ़ावा देने के लिए भारतीय प्राकृतिक शहद उद्योग और निर्माताओं को बदनाम करने की साजिश है। यह ‘खादी और ग्रामोद्योग आयोग चैनल सहित लाखों ग्रामीण किसानों और शहद उत्पादकों’ को हटाकर प्रसंस्कृत/कृत्रिम/मूल्य वर्धित शहद निर्माताओं को प्रतिस्थापित करने की योजना लगती है। हम 100 फीसदी प्राकृतिक शहद बनाते हैं, जो शहद के लिए FSSAI द्वारा निर्धारित 100 से अधिक मानकों पर खरा है।’

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डाबर ने दी सफाई

इस दावे पर डाबर ने कहा है कि, कंपनी भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के तय मानकों का पालन करती है। डाबर के प्रवक्ता ने कहा कि, हालिया रिपोर्ट दुर्भावना और हमारे ब्रांड की छवि को खराब करने के उद्देश्य से प्रेरित लगती है। हम अपने उपभोक्ताओं को आश्वस्त करते हैं कि डाबर हनी 100 फीसदी शुद्ध और स्वदेशी है, जिसे भारतीय स्रोतों से प्राकृतिक रूप से एकत्रित किया जाता है और बिना चीनी या अन्य किसी मिलावट के साथ पैक किया जाता है।

वहीं, झंडू ब्रांड का मालिकाना हक रखने वाले इमामी समूह ने कहा कि वह FSSAI के सभी मानकों का पालन करती है।