बंगाल चुनाव: अंतिम दो चरणों को लेकर पर्यवेक्षकों ने की अनुशंसा, असमंजस में फंसा चुनाव आयोग

पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में हो रहे विधानसभा चुनाव के बीच तेजी से  फैल  रहे कोविड संक्रमण  के मद्देनजर  पश्चिम बंगाल में तैनात चुनाव अधिकारियों ने आखिरी दो चरणों की वोटिंग एक साथ कराने की अनुशंसा की थी। चुनाव आयोग के एक सूत्र ने इसकी पुष्टि की है। बताया गया है कि 22 अप्रैल को छठे चरण का मतदान तो हो रहा है लेकिन 26 अप्रैल को सातवें चरण का और 29 अप्रैल को आठवें चरण के मतदान को एक साथ कराने की अनुशंसा पश्चिम बंगाल में तैनात चुनाव पर्यवेक्षकों (आब्जर्वर्स) ने पत्र लिखकर की थी।

बंगाल चुनाव पर मंडरा रही कोरोना संकट की घंटी

चुनाव पर्यवेक्षकों की इस चिट्ठी को राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी की ओर से भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को भेजा गया था और पूछा गया था कि क्या यह संभव है कि आखिरी दो चरणों के चुनाव एक साथ कराए जा सकें? यह तब हुआ था जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार राज्य में बाकी बचे तीन चरणों का चुनाव एक साथ कराने की मांग कर रही थीं और इस संबंध में  सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से भी चिट्ठी एक चुनाव आयोग को दी गई थी। उसके पहले कलकत्ता हाईकोर्ट ने कोविड-19 महामारी के  प्रसार को लेकर चुनाव आयोग की ओर से  किये गये एहतियाती उपायों  के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तलब की थी जिसके बाद आयोग को सर्वदलीय बैठक करनी पड़ी थी। उस बैठक में भी तृणमूल कांग्रेस ने यह मांग रखी थी   और चुनाव पर्यवेक्षकों ने भी यही अनुशंसा की थी। हालांकि केंद्रीय चुनाव आयोग ने स्पष्ट कर दिया था कि ऐसा कर पाना संभव नहीं हो सकेगा।

सूत्रों ने बताया है कि चुनाव आयोग की ओर से नियुक्त किए गए विशेष पर्यवेक्षक अजय नायक और पुलिस पर्यवेक्षक विवेक दुबे ने पिछले सप्ताह के अंत में चुनाव आयोग को पत्र लिखा था। इसमें इस बात का जिक्र किया था कि राज्य चुनाव आयोग दफ्तर के 25 लोग पॉजिटिव हैं। जबकि संक्रमित होने के बाद इलाज के दौरान दो उम्मीदवारों श्मशेरगंज से कांग्रेस के रिजाउल शेख और जंगीपुर से रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के प्रदीप नंदी की मौत हो चुकी थी। इसी को आधार बनाकर दोनों ऑब्जर्वर्स ने आखिरी दो चरणों के चुनाव एक साथ कराने की अनुशंसा की थी। इन्होंने कहा था कि अगर अतिरिक्त संख्या में केंद्रीय बलों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए तो दो चरणों के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं । हालांकि आयोग ने अभी तक इस बारे में कोई आधिकारिक जवाब नहीं दिया है।

— क्यों एक साथ नहीं कराए जा सकते चुनाव –

 केंद्रीय चुनाव आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस चिट्ठी की पुष्टि करते हुए बताया कि अतिरिक्त संख्या में सुरक्षा बलों की अनुपलब्धता के कारण बाकी दो चरणों के चुनाव एक साथ नहीं कराया जा सकते हैं। उक्त अधिकारी ने बताया कि हमारे सिक्योरिटी फोर्स इस देश के अलग-अलग हिस्सों में सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात हैं। उन्हें बंगाल में चुनावी ड्यूटी पर लाने के लिए अग्रिम नोटिस देना पड़ता है और इसके लिए चार-पांच महीने पहले से चिट्ठी लिखनी जरूरी होती है।

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उन्होंने आगे बताया कि बंगाल में चुनावी हिंसा का कुख्यात इतिहास है और अगर सुरक्षाबलों की कमी रही तो ना केवल चुनाव में धांधली होगी। बल्कि पहले के छह चरणों के चुनाव को शांतिपूर्वक और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने का कोई औचित्य नहीं रह जाएगा।  राज्य पुलिस पर विपक्षी दलों को भरोसा नहीं है। इस  बार बंगाल का चुनाव कमोबेश शांतिपूर्ण तरीके से हो रहा है और आयोग इस उपलब्धि को किसी भी तरह कमतर नहीं होने देगा। गौर हो कि पांच चरणों में 180 सीटों पर वोटिंग हो चुकी है और बाकी 114 सीटों पर चुनाव बाकी है। 22 अप्रैल को 43 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। 26 अप्रैल को सातवें चरण का और 29 अप्रैल को अंतिम चरण की वोटिंग के बाद दो मई को मतगणना होनी है।