मुस्लिमों ने बद्रीनाथ धाम में अदा की ईद की नमाज, हिंदू संगठनों ने कर दी बड़ी मांग

हिंदुओं की आस्था के केंद्र चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम में बीते बुधवार को एक ऐसी घटना घटी, जिसकी कल्पना भी कोई नहीं कर सकता है। दरअसल, बीते बुधवार को बकरीद के मौके पर 15 मुस्लिम समुदाय के लोगों ने यहां नमाज अदा की। इसकी वजह से पूरे क्षेत्र में रोष देखने को मिल रहा है। इस घटना के बाद हिंदू संगठनों ने भी गुस्सा व्यक्त किया है। कई हिन्सू संगठनों ने नमाज अदा करने वाले 15 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए उत्तराखंड के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज को ज्ञापन सौंपा है।

बद्रीनाथ धाम की इस घटना की जांच में जुटी पुलिस

मिली जानकारी के अनुसार, बद्रीनाथ धाम में आस्था पथ नामक संस्था के पार्किंग स्थल के निर्माण कार्य में काम करने 15 लोग मुस्लिम समुदाय के थे। बीते दिन नमाज के मौके पर इन लोगों ने बद्रीनाथ में ईद की नमाज अदा की। इस घटना को लेकर हिंदू संगठनों ने कार्रवाई की मांग करते हुए सतपाल महाराज को ज्ञापन सौंपा जिस पर उन्होंने चमोली के पुलिस अधीक्षक को जाँच के आदेश दिए हैं।

उधर, चमोली पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान ने बताया कि श्रमिकों ने एक बंद कमरे में नमाज पढ़ी थी। लेकिन पर्यटन मंत्री को दिए गए ज्ञापन में विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि बद्रीनाथ धाम में जानबूझकर नमाज पढ़ी गई है। उन्होंने ज्ञापन में इस बात पर भी ध्यान दिलाया है कि जब बद्रीनाथ पूरी तरह से हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए बंद है और वहां हिंदुओं को दर्शन तक की अनुमति नहीं है तो फिर वहां नमाज कैसे पढ़ी जा सकती है?

इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने सभी 15 मुस्लिम श्रमिकों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। चमोली पुलिस ने इस घटना को लेकर ट्वीट किया है। इस ट्वीट में कहा गया है कि मजदूरों ने बंद कमरे में बिना लाउडस्पीकर और मौलवी के नमाज पढ़ी। इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का भी पालन किया गया। साथ ही आरोपों की जांच करने की भी बात कही है।

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बद्रीनाथ धाम में नमाज पढ़े जाने की घटना के बाद स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा है। उन्होंने इस मामले में बद्रीनाथ थाने में जाकर ज्ञापन भी दिया। एक स्थानीय नागरिक का कहना है कि उनसे अक्सर पहचान-पत्र माँगे जाते हैं। इसके कारण उन्हें कभी-कभी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इसी तरह ठेकेदारों को भी ध्यान देना चाहिए कि जब वो अपने मजदूर लेकर आएँ तो उन्हें बद्रीनाथ के रीति-रिवाजों से परिचित कराएँ। साथ ही उसने यह भी कहा कि सभी ठेकेदारों से यह निवेदन है कि वो अपनी सीमाओं को न लाँघे, क्योंकि वो (हिन्दू) सोए नहीं हैं और अपने रिवाजों की रक्षा के लिए कुछ भी कर सकते हैं।