मुस्लिम संगठनों ने की अब तक की सबसे बड़ी बैठक, इस्लाम के कई अहम मुद्दों पर हुई चर्चा

देश में सक्रिय बड़े मुस्लिम संगठनों ने आज एक बैठक करके एकजुटता का प्रदर्शन किया। संगठनों के जिम्मेदारों ने संविधान के चारों स्तंभ पर अमल करते हुए देश से नफरत और हिंसा को समाप्त करने के लिए एक प्लेटफार्म पर आकर काम करने का फैसला लिया है। यह बैठक ऑल इंडिया मिल्ली काउंसिल के महासचिव डॉ. मंजूर आलम के आह्वान पर राजधानी दिल्ली के ओखला स्थित होटल रिवर व्यू में आयोजित की गई।

मुस्लिम समाज की गलतफहमियों को मिटाने के लिए उठाएंगे कदम

इत्तेहाद-ए-मिल्लत कांफ्रेंस के नाम से आयोजित इस बैठक में मुस्लिम संगठनों के जिम्मेदारों ने एकराय होकर यह फैसला लिया है कि इस्लाम और मुसलमानों के प्रति जो भी गलतफहमियां हैं, उसको दूर करने के लिए वह भारतीय समाज के सभी वर्गों बहुसंख्यक हिंदू समाज, बौद्ध, सिख, जैन और ईसाई समाज के बीच जाकर अपनी बात रखेंगे।

इस्लाम और मुसलमानों के प्रति जो भी गलतफहमियां उनके दिलों के अंदर घर कर गई हैं, उसे दूर करने की कोशिश करेंगे। साथ ही साथ मुसलमानों के तमाम वर्गों में भी एकता और भाईचारा पैदा करने की भी कोशिश करने का फैसला किया गया है। इस बैठक में मुसलमानों के सभी स्कूल ऑफ थॉट के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

भारतीय मुस्लिम समाज में पहली बार इतने बड़े स्तर पर इस तरह की बैठक का आयोजन किया गया है। इस बैठक की तैयारियों के लिए लंबे अरसे से काम किया जा रहा था। बैठक को कामयाब बनाने के लिए देशभर का दौरा भी किया गया। इस बैठक की सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही है कि इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना राबे हसनी नदवी ने लखनऊ से ऑनलाइन शिरकत की।

इसके अलावा जमीयत उलेमा-ए-हिंद के दोनों धड़ों के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी और मौलाना महमूद मदनी, जमात-ए-इस्लामी हिंद के अमीर इंजीनियर सआदतउल्लाह हुसैनी, जमीयत अहले हदीस हिंद के अमीर मौलाना असगर अली इमाम सल्फी मेहंदी, ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरत के अध्यक्ष नवेद हामिद, मुस्लिम बोहरा कम्युनिटी के लीडर सैयदना ताहिर फखरुद्दीन के छोटे भाई डॉ. अजीज ने भी ऑनलाइन शिरकत की।

बैठक के संयोजक मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने कहा है कि वैसे तो बैठक में बहुत सारे फैसले लिए गए हैं लेकिन खासतौर से यह फैसला लिया गया है कि हमारे साथ हमारे मुल्क में रहने वाले लोगों में मुसलमान और इस्लाम के बीच जो भी गलतफहमी है, उसे दूर करने की जरूरत है। उनका कहना है कि इसके लिए सभी धर्मों के जिम्मेदारों, बुद्धिजीवियों से मुलाकात की जानी चाहिए और उनके साथ तमाम समस्याओं के समाधान का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए जरूरत पड़े तो उनके साथ खाने-पीने का भी बंदोबस्त करना चाहिए।

इस बैठक की तैयारियों के लिए प्रयासरत रहे मुस्लिम बुद्धिजीवी डॉ. मंजूर आलम का कहना है कि यह बैठक आने वाले दिनों के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। उनका कहना है कि एक लंबे अरसे के बाद इतनी बड़ी तादाद में मुस्लिम संगठनों के जिम्मेदारों ने एक मंच पर आकर अपनी बातों को साझा किया और एक कार्ययोजना बनाकर उस पर काम करने का फैसला किया है।

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उनका कहना है कि हमने बैठक में सबसे ज्यादा जोर इस बात पर दिया है कि समाज की भलाई के लिए अगर कोई व्यक्ति या संस्था कुछ कर रही है, तो उसके काम की हमेशा सराहना और प्रशंसा की जानी चाहिए और उसे बढ़ावा देने की कोशिश करनी चाहिए। अपने देशवासियों के साथ अच्छे सम्बंध स्थापित करने और हमारे बीच जो भी मतभेद हैं, उसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।

बैठक में समाज की भलाई के लिए मिलजुल कर काम करने और देश की तरक्की एवं खुशहाली के लिए हमेशा प्रयास करते रहने पर बल दिया गया है। समाज को तोड़ने वाली और समाज में नफरत फैलाने वाली विघटनकारी ताकतों की पहचान कर उससे समाज को बचाने की कोशिश करने की भी बात कही गई है।