ज्योति में ज्योति का विलय: अमर जवान जोत पर सियासत गर्म, सरकार ने बताई वजह, राहुल ने साधा निशाना

दिल्ली के इंडिया गेट पर बीते 50 सालों से जल रही अमर जवान ज्योति का आज समीप ही बने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा। इसे लेकर सियासी बवाल पैदा हो गया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सरकार पर निशाना साधा तो सरकार ने अपना पक्ष रखा। ऐसे में पूरा मामला क्या है, और इस पर विशेषज्ञ क्या कहते हैं, आइये जानते हैं:

केंद्र सरकार का कहना है कि वह अमर जवान ज्योति को बुझा नहीं रही है, बल्कि उसका कुछ ही दूरी पर बनाए गए राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्वाला में विलीन किया जा रहा है। केंद्र का कहना है कि अमर जवान ज्योति के स्मारक पर 1971 और अन्य युद्धों के शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है, लेकिन उनके नाम वहां नहीं हैं। इंडिया गेट पर केवल कुछ शहीदों के नाम अंकित हैं, जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध और एंग्लो-अफगान युद्ध में अंग्रेजों के लिए लड़ाई लड़ी थी। यह हमारे औपनिवेशिक अतीत का प्रतीक है।

सात दशक तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाने वाले मचा रहे शोर

जोत के जोत में विलय पर बवाल मचा रहे कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को जवाब देते हुए केंद्र ने कहा कि 1971 और उसके पहले और बाद हुए युद्धों समेत सभी युद्धों के सभी भारतीय शहीदों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर अंकित किए गए हैं। इसलिए वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी। विडंबना यह है कि जिन लोगों ने 7 दशकों तक राष्ट्रीय युद्ध स्मारक नहीं बनाया, वे अब शहीदों को स्थायी व उचित श्रद्धांजलि देने पर हंगामा कर रहे हैं।

समारोहपूर्वक होगा विलय
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि इंडिया गेट स्थित अमर जवान ज्योति का राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति में शुक्रवार को समारोहपूर्वक विलय किया जाएगा। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता एकीकृत रक्षा स्टाफ प्रमुख एयर मार्शल बलभद्र राधा कृष्णा द्वारा की जाएगी। इंडिया गेट का निर्माण अंग्रेज सरकार ने 1914 से 1921 के बीच शहीद ब्रिटिश भारतीय सैनिकों की याद में किया था। 

इंडिया गेट से 400 मीटर दूर है युद्ध स्मारक

सेना के अधिकारियों ने गुरुवार को बताया था कि अमर जवान ज्योति का शुक्रवार दोपहर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर जल रही ज्योति में विलय किया जाएगा। यह स्मारक इंडिया गेट के दूसरी तरफ केवल 400 मीटर की दूरी पर स्थित है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अमर जवान ज्योति को लेकर कई तरह की अफवाहें फैलाई जा रही हैं। अमर जवान ज्योति की लौ बुझाई नहीं जा रही है बल्कि इसे राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की लौ के साथ मिलाया जाएगा। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को किया था। यहां 25,942 सैनिकों के नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखे गए हैं। इस पर गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ शहीद जवानों के भी नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हैं।

कुछ लोग नहीं समझ सकते बलिदान, हम फिर जलाएंगे जोत : राहुल गांधी
उधर कांग्रेस नेता ने ट्वीट कर कहा- ‘बहुत दुख की बात है कि हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी, उसे आज बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम व बलिदान नहीं समझ सकते- कोई बात नहीं… हम अपने सैनिकों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे!’

ज्योति के विलय पर न हो राजनीति : ले. जन. जेबीएस यादव
उधर, 1971 के युद्ध के नायकों में शामिल रहे रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव ने कहा है कि जोत के विलय पर राजनीति नहीं होना चाहिए। केंद्र के हर फैसले के विरोध की प्रवृत्ति बन गई है। अमर जवान जोत का युद्ध स्मारक की जोत में विलय होना चाहिए। देश में सिर्फ एक युद्ध स्मारक होना चाहिए। 

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इंदिरा गांधी ने 1972 में किया था अमर जवान ज्योति का उद्घाटन

अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को अमर जवान जोत का उद्घाटन किया था।