कश्मीर घाटी में जहर घोलने की कोशिश में महबूबा, इस बार दे डाली बहुत बड़ी चेतावनी

अनुच्छेद 370 को लेकर विवादित बयानबाजी कर करने वाली जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक बार फिर कश्मीर घाटी में जहर घोलने की कोशिश की है। दरअसल, उन्होंने 370 का मुद्दा उठाते हुए एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाना बनाया है। उन्होंने कहा है कि कहा कि आज घाटी में युवाओं के पास नौकरी नहीं है, इसलिए उनके सामने हथियार उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। आज आतंकी कैंप में भर्तियां बढ़ने लगी हैं।

महबूबा ने केंद्र सरकार पर जमकर लगाए आरोप

पीडीपी अध्यक्ष ने केंद्र सरकार पर आरोपों का ठीकरा फोटते हुए कहा कि बीजेपी जम्मू-कश्मीर की जमीन को बेचना चाहती है, आज बाहर से आकर लोग यहां नौकरी कर रहे हैं लेकिन हमारे बच्चों को नौकरी नहीं मिल रही हैं।

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने इस बयान पर कहा कि महबूबा मुफ्ती और उनका परिवार लंबे वक्त तक कश्मीर की सत्ता में रहा, अगर युवाओं को नौकरी नहीं मिली है तो वो अपना ही रिपोर्ट कार्ड दे रही हैं। बीजेपी नेता बोले कि महबूबा मुफ्ती अपने राजनीतिक जनाधार को बचाए रखने के लिए इस तरह के बयान दे रही हैं। युवाओं को भङ़काने के लिए वो इस तरह के बयान दे रही हैं।

आपको बता दें कि महबूबा मुफ्ती इन दिनों जम्मू दौरे पर हैं और वे यहां लगातार पार्टी कार्यकर्ताओं और लोगों से मुलाक़ात कर रही हैं। अपने इस दौरे के दौरान वह केंद्र सरकार पर लगातार हमला बोल रहे हैं। अभी बीते सप्ताह भी उन्होंने युवाओं का मुद्दा उठाते हुए केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया था।

महबूबा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर कहा था कि कश्मीरी युवाओं का भविष्य सुरक्षित रखने के लिए हम किसी भी हद तक जायेंगे। पहले जो कानून देश में बनते थे, वे आम जनता और उनक हित सोचकर बनाये जाते थे। उन कानूनों के साथ जनता सहज थी, लेकिन अब जो कानून बन रहे हैं, वे जनता पर थोपे जा रहे हैं। आर्टिकल 370 को हटाकर कश्मीरियों के अस्तित्व पर सवाल किया गया है, जिसे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे।

गौरतलब है कि गुपकार समझौते के तहत जम्मू-कश्मीर की कई पार्टियों ने पीपुल्स अलायंस बनाया है, जिसमें पीडीपी, एनसी, सज्जाद लोन की पार्टी समेत अन्य कई दल हैं। अब इन दलों ने अनुच्छेद 370 के मसले पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है कि अनुच्छेद 370 से जुड़ी सभी याचिकाओं पर जल्द सुनवाई की जाए।