बंगाल के चुनावी बिगुल के बीच ममता को मिला कांग्रेस का साथ, बीजेपी को लगा तगड़ा झटका

चुनाव आयोग के ऐलान के बाद पश्चिम बंगाल में एक बार फिर चुनावी बिगुल बज चुका है। सूबे में तीन विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में सभी की नजर भवानीपुर सीट पर रहेगी। इस सीट से चुनाव लड़कर तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी अपने मुख्यमंत्री पद की साख बचाने की कवायद में जुटी हैं। ममता बनर्जी की इसी कवायद एक बीच अब कांग्रेस ने एक बड़ा ऐलान किया है।

दरअसल, बीते रविवार को ऐलान किया गया गया कि आगामी उपचुनाव में ममता बनर्जी भवानीपुर सीट से चुनाव लड़ेंगी। तृणमूल कांग्रेस के इस ऐलान के बाद उपचुनाव में काफी अहम हो चुकी भवानीपुर सीट पर जीत हासिल करने के लिए बीजेपी जहां एक मजबूत उम्मीदवार की तलाश में लगी है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने ममता के खिलाफ उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला लिया है। हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। सूत्रों का मानना है कि कांग्रेस ममता के खिलाफ कैंडिडेट नहीं उतारेगी।

आपको बता दें कि भवानीपुर सीट ममता बनर्जी की परम्परागत सीट रही है और वह हर चुनाव में इसी सीट से चुनाव लडती रहीं है। हालांकि बीते विधानसभा चुनाव में ममता ने बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के खिलाफ नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ा था, जहां उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। उनकी इस हार के बावजूद उस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए पूर्ण बहुमत से सत्ता हासिल की और ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार सूबे की मुख्यमंत्री बनी।

हालांकि, मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें 30 सितम्बर को होने वाले उपचुनाव में जीत हासिल करना बेहद जरूरी है। इसी वजह से ममता अपनी परंपरागत सीट भवानीपुर से चुनावी मैदान में उतरी हैं।

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बंगाल में जिन तीन विधानसभा सीटों के लिए मतदान होना है, उनमें भवानीपुर के अलावा मुर्शिदाबाद जिले की शमसेरगंज और जंगीपुर विधानसभा सीट भी शामिल है। इन सीटों पर 30 सितंबर को मतदान होगा और 3 अक्टूबर को नतीजे घोषित किए जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग ने शनिवार को पूरा शेड्यूल जारी किया था। इसके बाद रविवार को ममता बनर्जी को भवानीपुर सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया।

बीते विधानसभा चुनाव के दौरान रुद्रनील घोष भवानीपुर सीट से बीजेपी के उम्मीदवार थे और इस सीट से तृणमूल के शोभनदेव चटोपाध्याय कैंडिडेट थे। रूद्रनील घोष को शोभनदेव के हाथों हार मिली थी। हालांकि, ममता बनर्जी की हार के बाद शोभनदेव ने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था।