19 वर्षों से थाने में सजा काट रहे हैं भगवान कृष्ण, कानूनी दांवपेंच में उलझा मामला

कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात में स्थित शिवली थाना वैसे तो यह थाना बड़े अपराध और अपराधियों के लिए जाना जाता है। शिवली थाने का इतिहास भी काफी पुराना है लेकिन इन दिनों यह यह एक बार फिर से सुर्ख़ियों में आ गया है। चर्चा भी ऐसी है जो की साक्षात भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी है। आइए हम आपको बताते हैं वह वजह जिसके चलते यह थाना फिर से चर्चा में आ गया है।यह बात सुनकर आपको हैरानी तो होगी लेकिन हकीकत यह है कि भगवान श्री कृष्ण पिछले 19 वर्षों से कानपुर देहात के इस थाने थाने में कैद हैं और भगवान श्री कृष्ण की रिहाई कानूनी दांव पेंच के चक्रव्यूह में फस गई है।

मामला यह है कि कानपुर देहात के शिवली क्षेत्र में बने इस राधा कृष्ण मंदिर में भगवान कृष्ण और राधा विराजमान थे।भगवान श्री कृष्ण की यह मूर्ति अष्ट धातु से निर्मित थी और लोगों की यह धारणा थी की यह मूर्ति खुदाई में निकली थी और करीब डेढ़ सौ साल पुरानी है।इस मंदिर से लोगों का आस्था और विश्वास का नाता लगातार बना हुआ था।

एक दिन कानपुर देहात के ही एक शख्स ने भगवान श्री कृष्ण और राधा की इस अष्टधातु निर्मित मूर्ति को चुरा लिया जिससे 19 साल पहले इस इलाके में सनसनी फैल गई लेकिन ईश्वर की महिमा कहें या उसका चमत्कार एक रोज एक शख्स ने खुद ही थाने में आकर अपना चोरी का जुर्म कुबूल कर लिया और यह बता दिया कि उसने मूर्ति कहां पर छुपाई थी।पुलिस भी इस बात को लेकर हैरत में थी कि आखिर चोरी करने वाला शख्स खुद थाने में आकर अपना जुर्म कैसे कुबूल कर रहा है। पूछने किशोर ने बताया किए उसके सपने में भगवान श्रीकृष्ण आये थे और उन्होंने ही उसे इस जुर्म को कुबूल करने के लिए विवश किया था। पुलिस को चोर की कहानी पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन जब चोरी की गई मूर्ति बरामद हो गयी तो पुलिस की जान में जान आ गई। इसके बाद पुलिस ने मुकदमा पंजीकृत करके चोर को जेल भेज दिया। तभी से यह मूर्ति भगवान कृष्ण की कानपुर देहात के शिवली थाने में कैद है।कोर्ट ने चोर को जमानत तो दे दी लेकिन न्यायिक प्रक्रिया के चलते मूर्ति अभी तक अपने उचित स्थान पर स्थापित नहीं हो पाई। चोरी का यह मुकदमा पिछले 19 वर्षों से कानपुर देहात की कोर्ट में विचाराधीन है। साल में एक बार पढ़ने वाले भगवान श्री कृष्ण के जन्म उत्सव पर यानी कि जन्माष्टमी के दिन थाने के सभी पुलिसकर्मी इस मूर्ति को माल गोदाम से निकालकर इसकी पूजा-अर्चना भी करते हैं।