बार काउंसिल के नए नियमों के खिलाफ वकीलों ने बुलंद की आवाज, सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा हाल में गजट नोटिफिकेशन जारी कर नियमों में किए गए संशोधनों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। दरअसल, केरल और मुंबई के दो वकीलों ने इन संशोधनों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। इस याचिका में इन संशोधनों को गैरकानूनी और असंवैधानिक बताया गया है।

बार काउंसिल ने नोटिफिकेशन जारी कर वकीलों पर लगाया अंकुश

वकीलों द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि ये संशोधन संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(सी) और धारा 21 का उल्लंघन है। याचिका में जिस संशोधन को चुनौती दी गई है उसके मुताबिक बार काउंसिल की आलोचना या उससे असहमति दर्ज कराने वाले वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यहां तक कि उन्हें अयोग्य करार दिया जा सकता है।

याचिका में कहा गया है कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को विधायी अधिकार नहीं है। उसे इस बात का कतई अधिकार नहीं है कि वो मौलिक अधिकारों को छीन ले। याचिका में कहा गया है कि केवल इस बिना पर किसी के संवैधानिक अधिकारों को नहीं छीना जा सकता है कि वह वकील है। हाल ही में एक गजट नोटिफिकेशन के जरिए इन संशोधनों को लाया गया है।

गौरतलब है कि मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में कहा था कि उन वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करनी चाहिए जो सार्वजनिक रूप से अपने अनियंत्रित आचरण के कारण कानूनी बिरादरी को अपमानित करते हैं। इसी के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपने नियमों में संशोधन किया है।

बार काउंसिल के नियमों के मुताबिक, एक अधिवक्ता (वकील) अपने दैनिक जीवन में अच्छा आचरण करेगा और वह कोई भी गैरकानूनी कार्य नहीं करेगा। वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया में कोई बयान नहीं देगा। जो किसी भी कोर्ट या जज या न्यायपालिका के किसी सदस्य के खिलाफ, या स्टेट बार काउंसिल या बार काउंसिल ऑफ इंडिया के खिलाफ हो।

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बार काउंसिल या बार काउंसिल ऑफ इंडिया और इस तरह के किसी भी कार्य/आचरण को कदाचार माना जाएगा और ऐसे वकील अधिवक्ता अधिनियम, 1961 की धारा -35 या 36 के तहत कार्यवाही के लिए उत्तरदायी होंगे।

संशोधित नियमों में यह भी कहा गया है कि इस आचार संहिता के उल्लंघन से बार काउंसिल की सदस्यता निलंबित या छीनी जा सकती है, जिसका अर्थ है कि वकील को किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस करने से रोक दिया जाएगा। साथ ही किसी भी बार एसोसिएशन या बार काउंसिल के चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित भी कर सकता है।