अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव 7 मार्च को, ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में ले हिस्सा, जीतें पुरस्कार

लखनऊ। श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश मनुष्य को सही तरह से जीवन जीने का रास्ता ही नहीं दिखाते हैं बल्कि हमें धर्म के मार्ग पर चलते हुए अच्छे कर्म करने की शिक्षा देते हैं। महाभारत में युद्ध भूमि में खड़े अर्जुन और कृष्ण के बीच के संवाद से हर मनुष्य को प्रेरणा लेनी चाहिए। कहा गया है कि गीता में लिखी बातें मनुष्य  यदि समझ जाए तो उसके लिए जीवन को जीना कठिन नहीं बहुत ही सरल हो जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में होंगी ऑनलाइन प्रतियोगिताएं

ऐसे ही गीता के उपदेशों को आम जनता तक पहुंचाने के लिये ‘अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव’ (IGF) का आयोजन 7 मार्च 2021 को किया जा रहा है। जेके योग संस्था की ओर से आयोजित होने वाले अंतरीराष्ट्रीय गीता महोत्सव के कॉर्डिनेटर मुकुंद पंडित ने बताया कि ये फस्टिवल एक सुनहरा अवसर है जिसमें सभी वर्ग और उम्र के लोग शामिल होकर खुद को मोटिवेट कर सकते हैं साथ ही गीता में दिए उपदेशों से अपनी आध्यात्मिक रुचि को बढ़ा सकते हैं।

खास बात यह है कि इस ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में 20 से अधिक आयु-उपयुक्त रचनात्मक प्रतियोगिताएँ जैसे- प्रश्नोत्तरी, डिजिटल कला, दृश्य कला, अंताक्षरी, भाषण/लेखन कला आदि  हैं। कोई भी अपने घर से पंजीकरण कर आराम से भाग ले सकता है। निशुल्क ऑनलाइन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये अंतिम तिथि 21 फरवरी रखी गई है। www.jkyog.org/Gitafestival पर लॉगिन कर सकते हैं।

नि:शुल्क ऑनलाइन प्रतियोगिता में भी हो सकते शामिल

IGF एक ऑनलाइन प्रतियोगिता है जो सभी उम्र के लोगों की भगवद गीता में रुचि विकसित करने में समर्थ है। प्रतियोगिता 20 से अधिक विषयों में बांटी गई है और इसमें विजयी होने वाले प्रतिभागियों के लिये पुरस्कार भी रखे गये हैं।

रजिस्ट्रेशन की अंतिम तिथि

निशुल्क ऑनलाइन प्रतियोगिता में भाग लेने के लिये अंतिम तिथि 21 फरवरी रखी गई है। www.jkyog.org/Gitafestival पर लॉगिन कर सकते हैं।

कौन है स्वामी मुकुंदानंद

स्वामी मुकुंदानंदजी दिल्ली आईआईटी से इंजीनियरिंग और कोलकाता आईआईएम से एमबीए उत्तीर्ण हैं। यह लाखों लोगों के जीवन को गीता के माध्यम से समृद्ध बनाने में जुटे हैं। एक योगी, प्रसिद्ध लेखक और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर माइंड मैनेजमेंट के भी ज्ञाता हैं। जो दुनिया के कई शहरों में जीवन परिवर्तन कार्यक्रमों का आयोजन भी करते रहे हैं। उनके द्वारा रचित भगवद् गीता एक दार्शनिक समझ प्रदान करने के साथ-साथ, रोजमर्रा की जिंदगी में आध्यात्मिक उपदेशों को लागू करने की स्पष्ट तकनीक का वर्णन करती है”।

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