ऑस्ट्रेलिया-चीन की लड़ाई में फंसे भारतीय, पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार

कोरोना वायरस की वजह से ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच छिड़ी जंग का खामियाजा 40 भारतीयों को उठाना पड़ रहा है। दरअसल, इन दोनों देशों की वजह से 40 भारतीयों का एक नाविक दल पिछले चार महीने से चीन के समुद्र में फंसा हुआ है। ऑस्ट्रेलिया के साथ जारी लड़ाई की वजह से चीन द्वारा लगाईं गई पाबंदियों की वजह से यह भारतीय दल अधर में लटका हुआ है। इस नाविक दल को न तो तट पर जाने की इजाजत दी जा रही है और न ही जहाज कंपनी को नाविक दल को बदलने की इजाजत दी जा रही है। इसके साथ-साथ चीन ने चेतावनी भी दी है कि अगर जहाज को किसी दूसरी जगह ले जाने की कोशिश की गई, तो नाविक दल को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

भारतीय दल ने पीएम मोदी से लगाई मदद की गुहार

एक न्यूज चैनल के पोर्टल से मिली जानकारी के अनुसार, चीन के समुद्र में फंसे इन नाविक दल में मौजूद गौरव सिंह ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा है कि उन्हें कोई मदद नहीं मिल पा रही है। इसलिए अब उन्होंने घर की वापसी के लिए भारत सरकार से गुहार लगा रहे हैं। उन्होंने कहा हम लोग बहुत ज्यादा परेशान हैं। कहीं से भी हमे मदद नहीं मिल रही है। हम भारत सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। हमें अपने घर जाना है। आपसे निवेदन है कि प्लीज हमारी आवाज सरकार तक पहुंचाइए। उन्होंने यह सन्देश एक वीडियो के माध्यम से दिया है।

गौरव के अलावा एक एक शख्स ने कहा कि मेरी उम्र 60 साल से ऊपर है, कितने दिनों तक यहां फंसा रहेंगे हम।’ दूसरे शख्स ने अपील करते हुए कहा, ‘हमारी बात जल्द से जल्द से सरकार तक पहुंचाओ। हमें घर जाना है। यही हमारी इच्छा है।

चीन में फंसे भारतीय नाविक आनंद फर्नाजीस के पिता ने कहा कि मेरा बेटा पांच महीने में वापस आ जाता था। अप्रैल में उसका रिव्यू होने वाला था। कोरोना की वजह से अवधि बढ़ गई। अब 13 महीने हो चुके हैं, लेकिन उसके आने का कुछ अता पता नहीं। उसका जहाज चाइना के समुंदर में खड़ा है। चाइना वाले कहीं जाने नहीं दे रहे।

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आपको बता दें कि जब विश्व कोरोना वायरस की मार झेल रहा था तो इस वायरस के फैसले के लिए अमेरिका ने चीन को जिम्मेदार ठहराया था और जांच की मांग की थी। तब ऑस्ट्रेलिया ने भी अमेरिका के आरोपों में हां से हां मिलाते हुए चीन पर गंभीर आरोप लगा दिए थे। साथ ही अमेरिका की मांग का समर्थन भी किया था। तब से ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच का माहौल खासा गर्म चल रहा है। अब इस लड़ाई का खामियाजा भारत को उठाना पड़ रहा है।