भारतीय नौसेना ने भविष्य में युद्ध लड़ने की तकनीक बदलने पर दिया जोर

भारतीय नौसेना युद्ध की बदलती तकनीक को देखते हुए अपनी तैयारियों में ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस’ को शामिल करने पर जोर दे रही है। इससे भविष्य में होने वाले युद्धों को इंसानों पर निर्भर रहने के बजाय मशीनों, कंप्यूटर और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिये लड़ा जा सके। इसके लिए दक्षिणी नौसेना कमान ने तीन दिवसीय वेबिनार आयोजित की जिसमें दुनिया की बेहतरीन आईटी कंपनियों ने भी अपने दृष्टिकोण को साझा किया। वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली ने इस विशिष्ट तकनीक के रणनीतिक महत्व और भारतीय नौसेना में इसके प्रयोग पर जोर दिया।

भारतीय नौसेना के प्रमुख तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान आईएनएस वलसुरा ने समकालीन विषय ‘लीवरेजिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फॉर इंडियन नेवी’ पर एक कार्यशाला आयोजित की। दक्षिणी नौसेना कमान के तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला में गूगल, आईबीएम, इनफ़ोसिस और आईटीएस जैसी प्रसिद्ध आईटी कंपनियों के प्रमुख वक्ताओं ने उद्योग के दृष्टिकोण को साझा किया। आयोजित वेबिनार में देश भर से 500 से अधिक प्रतिभागियों ने ऑनलाइन भागीदारी की। आईआईटी दिल्ली, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय, अमृता विश्वविद्यालय और डीए-आईआईसीटी के शिक्षाविदों ने भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के नवीनतम रुझानों और अनुप्रयोगों के बारे में बताया।

दक्षिणी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ वाइस एडमिरल एमए हम्पीहोली ने अपने मुख्य भाषण में इस विशिष्ट तकनीक के रणनीतिक महत्व और भारतीय नौसेना में इसके प्रयोग पर जोर दिया। भारतीय नौसेना अपने महत्वपूर्ण मिशनों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) को शामिल करने पर फोकस कर रही है। जामनगर में स्थित आईएनएस वलसुरा को पहले ही बिग डेटा के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) के रूप में नामित किया गया है। यहां एआई और बिग डेटा विश्लेषण (बीडीए) पर एक अत्याधुनिक प्रयोगशाला जनवरी, 2020 में स्थापित की गई थी। यह सीओई नौसेना में रखरखाव, मानव संसाधन, अकादमिक और उद्योग के सहयोग से मूल्यांकन और एआई और बीडीए को अपनाने से संबंधित पायलट परियोजनाओं की प्रगति में सहायक रहा है।

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नौसेना प्रवक्ता विवेक मधवाल के मुताबिक संगठनात्मक रूप से नौसेना ने एआई कोर समूह का गठन किया है जो सभी एआई, एमएल पहलों का आकलन करने के लिए वर्ष में दो बार बैठक करता है। नौसेना ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की परिकल्पना सामरिक और रणनीतिक दोनों स्तरों पर प्रभाव डालने के लिए की है। एआई परियोजनाओं की समय-समय पर समीक्षा की जा रही है ताकि निर्धारित समय-सीमा का पालन सुनिश्चित किया जा सके। नौसेना अपने अधिकारियों और नाविकों के लिए सभी स्तरों पर प्रशिक्षण भी आयोजित करती है। यह प्रशिक्षण नौसेना के अपने प्रशिक्षण स्कूलों के साथ-साथ आईआईटी में आयोजित किये जाते हैं। पिछले तीन वर्षों में कई कर्मियों ने बड़े और छोटे एआई लिंक्ड कोर्स किए हैं। नौसेना की यह पहल ‘भारत को एआई में वैश्विक बनाने के भारतीय दृष्टिकोण के अनुरूप है।