चीन से तनाव के बीच लद्दाख में भारत ने बदला अपना सैन्य कमांडर

चीन से तनाव के बीच लद्दाख में भारत ने अपना कमांडर बदल दिया है। अब लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कार्प्स के नए कमांडर के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्य सेनगुप्ता को नियुक्त किया गया है, जिन्होंने बुधवार को पदभार ग्रहण किया। उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन का स्थान लिया है, जिन्होंने एक वर्ष से अधिक का अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। जनरल मेनन ने अपने कार्यकाल के दौरान पूर्वी लद्दाख में चल रहे गतिरोध को हल करने के लिए चीन के साथ 6 दौर की बातचीत में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

चीन के साथ छठवीं और सातवीं दौर की सैन्य वार्ता में सेना मुख्यालय प्रतिनिधि के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन भी शामिल हुए थे। इन दोनों वार्ताओं में चीन की तरफ से जनरल ली शी झोंग ने हिस्सा लिया। जनरल झोंग और भारतीय जनरल मेनन के बीच अच्छा तालमेल माना जाता है। दोनों सैन्य अधिकारियों ने नवम्बर 2018 में अरुणाचल प्रदेश-तिब्बत सीमा पर भारत और चीन के बीच बुम ला में पहली मेजर जनरल स्तर की वार्ता का नेतृत्व किया। उस समय वह असम मुख्यालय वाले 71 इन्फैंट्री डिवीजन के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) थे। तभी से जनरल पीजीके मेनन चीनियों से निपटने में विशेषज्ञ माने जाते हैं। जनरल मेनन ने 8वीं से लेकर 13वें दौर तक चीन के साथ हुई कोर कमांडर स्तरीय वार्ता में भारत का नेतृत्व किया है।

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भारत और चीन के बीच अब तक 13 दौर की सैन्य वार्ताएं हो चुकी हैं। लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता कमांडर के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद अब चीन के साथ अगली बातचीत में भारतीय पक्ष का नेतृत्व करेंगे। लेफ्टिनेंट जनरल सेनगुप्ता अभी तक सेना मुख्यालय में तैनात थे। वह पंजाब रेजीमेंट से हैं और सेना मुख्यालय में आने से पहले कश्मीर घाटी में आतंकवाद निरोधी बल की कमान भी संभाल चुके हैं। लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कार्प्स चीन और पाकिस्तान दोनों सीमाओं की देखभाल कर रहा है। ऐसे में नए कोर कमांडर जनरल पीजीके मेनन के साथ लगभग 15 दिन बिताकर क्षेत्र के हर पहलू और उससे जुड़े मुद्दों को समझेंगे। लद्दाख सेक्टर में कारगिल सेक्टर और पूर्वी लद्दाख सेक्टर दोनों शामिल हैं, जहां पिछले दो दशकों में काफी आक्रामकता देखने को मिली है। इस कार्प्स के पास सियाचिन क्षेत्र की भी जिम्मेदारी है, जो दुनिया का सबसे ऊंचा और सबसे ठंडा युद्धक्षेत्र है। सीमा विवाद को लेकर भारत और चीन लगभग दो साल से सैन्य गतिरोध की स्थिति में हैं।