चीन को लेकर भारत ने फिर दिखाई सख्ती, ‘वंदे भारत’ प्रोजेक्ट से दिखाया बाहर का रास्ता

पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत की सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद सरकार लगातार चीन की कंपनियों पर सख्त रवैया अपना रही है। कुछ दिनों पहले भारत सरकार ने कई चाइनीज ऐप्स को भी बैन किया था। साथ ही चाइनीज कंपनियों के निवेश को लेकर भी कई नियमों पर भी सख्ती बरती जा रही है।

इसी क्रम में भारतीय रेलवे ने चाइनीज कंपनी को झटका देते हुए उसे वंदे भारत ट्रेन सेट निर्माण के लिए होने वाली नीलामी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। 44 डिब्बों को तैयार करने के लिए करीब 1800 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट में चाइनीज कंपनी के टेंडर को अयोग्य घोषित कर दिया गया है। बता दें कि इस नीलामी में केवल तीन कंपनियां शामिल हुईं थीं।

इस तरह अब अब सिर्फ दो ही कंपनियां BHEL और Medha Servo Drives होड़ में रह गई हैं। बताया जा रहा है कि Medha कंपनी ने सबसे कम बोली लगाई थी, इसलिए उसको पहले ऐसी दो ट्रेन सेट के निर्माण का ठेका मिला था।

बता दें कि सीआरपीसी पायनियर इलेक्ट्रिक इंडिया (CRRC-Pioneer Electric India) भी बोली में शामिल थी, लेकिन रेलवे द्वारा इसके कंसोर्टियम को अयोग्य ठहराते हुए बोली से बाहर कर दिया गया। यह कंपनी चीन की कंपनी CRPC Yongji Electric Ltd और भारत की Pioneer Fil-Med Ltd कंपनियों की साझेदारी वाली कंपनी है। Pioneer का प्लांट हरियाणा में लगा हुआ है।

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मालूम हो कि भारतीय रेलवे को इन टेंडर्स का मूल्यांकन करने और फाइनल कॉल लेने में करीब चार हफ्ते का समय लगा। इंटीग्रल कोच फैक्ट्री यानी कि ICF से रेलवे ‘वंदे भारत’ ट्रेन के 44 डिब्बों को खरीदेगा।