बदले वैश्विक समीकरणों के बीच चीन के लिए क्‍यों बेहद अहम मानी जा रही कांग्रेस की बैठक..?

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (China’s ruling Communist Party) रविवार से राष्ट्रीय कांग्रेस का आयोजन कर रही है। इस बैठक में शी च‍िनफ‍िंग (Xi Jinping) को सरकार और सेना के प्रमुख के रूप में निर्विरोध तीसरा पांच साल का कार्यकाल मिलने की उम्मीद है। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे हफ्ते चलने वाली इस कांग्रेस में शी च‍िनफ‍िंग द्वारा चुने गए नेताओं के एक नए समूह के उभरने की भी उम्‍मीद है। जानें बदले वैश्विक समीकरणों के बीच चीन के लिए क्‍यों बेहद अहम मानी जा रही यह बैठक…

इस बैठक के मायने…

चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (China’s ruling Communist Party) की कांग्रेस हर पांच साल में एक बार आयोजित होती है। इसमें करीब 2300 प्रतिनिधि एक हफ्ते तक जुटेंगे। इन प्रतिनिधियों में से करीब 200 को पार्टी की केंद्रीय समिति में शामिल किया जाएगा जबकि 170 अन्‍य वैकल्पिक सदस्य बनाए जाएंगे। केंद्रीय समिति 25 नेताओं का चयन पार्टी के पोलित ब्यूरो के लिए करेगी। फ‍िर पोलित ब्यूरो स्थाई समिति यानी स्‍टैंडिंग कमेटी के सदस्यों का चयन करेगी। मौजूदा वक्‍त में स्‍टैंडिंग कमेटी में सात सदस्य हैं। राष्ट्रपति शी चिनफ‍िंग भी इसमें शामिल हैं।

तानाशाही की ओर बढ़ेगा चीन

विश्लेषकों का कहना है कि यदि शी चिनफ‍िंग के तीसरे कार्यकाल पर मुहर लगती है तो चीन कट्टर अधिनायकवादी राजनीति की तरफ कदम बढ़ाएगा। बीबीसी ने लंदन यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज के प्रो. स्टीव सांग के हवाले से कहा है कि इस कांग्रेस में संविधान में संशोधन किया जा सकता है। यदि ऐसा होता है तो शी चिनफ‍िंग की ताकत और बढ़ेगी। वह तानाशाह के रूप में उभरेंगे।

पूरी दुनिया को नजर आएगा असर

अंतरराष्‍ट्रीय सियासत के जानकार बताते हैं कि शी चिनफ‍िंग की मजबूती वैश्विक प्रभाव दिखलाएगी है। वहीं समाचार एजेंसी पीटीआइ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस कांग्रेस में चिनफिंग को छोड़कर दूसरे नंबर के नेताओं को बड़े फेरबदल का सामना करना पड़ेगा। इन नेताओं में प्रधानमंत्री ली केकियांग सहित अन्‍य शीर्ष नेता शामिल है। इस फेरबदल में निवर्तमान विदेश मंत्री वांग यी की भूमिका भी बदल सकती है।

विरोध के बीच बैठक का आयोजन

यह बैठक तमाम विरोध प्रदर्शनों के बीच आयोजित की जा रही है। बीते बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया में कुछ तस्‍वीरें वायरल हो रही थीं। इनमें राजधानी बीजिंग के उत्तर-पश्चिम इलाके में कोविड रोधी नीति और शी चिनफ‍िंग की सरकार के विरोध वाला बैनर नजर आया था। यही नहीं कुछ जगहों पर चिनफिंग के विरोध में नारे लगाये जा रहे थे। विश्‍लेषकों का कहना है कि मौजूदा वक्‍त में चीनी आवाम शी चिनफ‍िंग की जीरो कोविड नीति से नाखुश है। यही कारण है कि इन घटनाओं के बाद बीजिंग में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी गई है।

विरोधियों को कुचलने की कोशिशें

समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक बीजिंग के कुछ इलाकों को लगभग बंद कर दिया गया है। कई ओवरपास पर सुरक्षा बल तैनात हैं। पर्यवेक्षकों का कहना है कि शी चिनफ‍िंग की जीरो कोविड नीति के चलते देश में बेरोजगारी बढ़ी है। हालांकि चीन इन ज्‍वलंत मुद्दों को बाहरी दुनिया को पता नहीं चलने देने का प्रयास करता देखा गया है। यही नहीं चिनफिंग की भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई को लेकर भी आक्रोश है। खुद कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में असंतोष बढ़ रहा है। विश्‍लेषकों का कहना है कि चिनफ‍िंंग विरोध‍ियों को कुचलने के लिए इसे टूल्‍स के तौर पर इस्‍तेमाल कर रहे हैं। 

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बैठक पर दुनिया की नजरें

बीबीसी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि इस बैठक पर दुनिया की नजरें हैं। इस बैठक के जरिए चीन की सियासत क्‍या रुख अख्तियार करती है इसे जानने में दुनिया की दिलचस्पी है। खासकर ताइवान और अमेरिका को लेकर चीन का रुख दिलचस्‍प होगा। वैसे शी चिनफ‍िंग की अमेरिका समेत पश्चिमी मुल्‍कों के प्रति तल्‍खी जग जाहिर है। रूस यूक्रेन युद्ध में चिनफ‍िंग का पुतिन को समर्थन भी दुनिया ने देखा है। ऐसे में शी चिनफ‍िंग को इस बैठक से मिली ताकत ताइवान के मसले को गरमाए रख सकती है।