ठंडे पानी से नहाना है कितना फायदेमंद, जान कर हो जायेंगे हैरान

एक पुरानी हिंदी फिल्म का बड़ा मशहूर गाना था – “ठंडे-ठंडे पानी से नहाना चाहिए, गाना आये या न आये गाना चाहिए” जिसे आपने सुना तो जरुर होगा। लेकिन क्या आप जानते है सुबह-सुबह बिस्तर से उठने के बाद शरीर में ताजगी लाने के लिए ठंडे-ठंडे पानी से नहाना कितना फायदेमंद है।

ठंडा पानी सुबह सुबह आलस को दूर कर के शरीर को तरोताजा करता है। ठंडे पानी से स्नान तंत्रिका तंत्र को सक्रिय हो जाती है और ठंडे पानी से नहाना शरीर के प्रतीक्षा प्रणाली को भी उत्तेजित कर देता है, जिससे संक्रमण के खिलाफ लड़ने वाली कोशिकाएं और मजबूत बनती है।

वैसे तो ठंडे पानी के संपर्क में हमारी त्वचा के आने पर शरीर को झनझनाहट सी होती है और शरीर तनाव में उस पर बहुत तेजी से प्रतिक्रिया करता है, जो दिल की धड़कन और रक्तसंचार को बढ़ाता है। दूसरी तरफ घरेलू स्तर पर भी ठंडे पानी से नहाना बहुत ही सुरक्षित माना जाता है। कंपकंपी के अलावा इसका और कोई उल्टा प्रभाव नहीं पड़ता जो शरीर को नुकसान पहुंचाए।

ठंडे पानी से नहाने से नहीं होगी भूलने की बीमारी  

कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी का हाल में ही हुआ एक अध्ययन ये बताता है कि अगर आप ठंडे-ठंडे पानी से नहाते है तो आपको भूलने की बीमारी होने के आसार बहुत ही कम हो जाते है।

आपको बता दें कि शोधकर्ताओं ने लंदन के पार्लियामेंट्री हिल स्टेडियम में तैराकी का लुत्फ़ उठा रहे युवाओं और वयस्कों के खून की जाँच की।

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जिसमें पता चला कि उनके शरीर में ‘कोल्ड शॉक प्रोटीन’ के नाम से प्रचलित ‘आरबीएम-3’ अधिक मात्र में मौजूद है। यह यौगिक आमतौर पर हाईबरनेसन में रह रहे स्तनपायी जीवों में पैदा होता है। तंत्रिका तंत्र की कोशिकाओं के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान सुनिश्चित करने वाले पुल (‘सिनेप्स’) के पुनर्विकास के लिए ये बेहद अहम माना जाता है।

मुख्या शोधकर्ता प्रोफेसर जियोवाना मालूसी के मुताबिक डिमेंशिया रोगियों में ‘सिनेप्स’ पूरी तरह से नष्ट हो जाते है।

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इससे तंत्रिका तंत्र के बीच सूचनाओं का प्रवाह नहीं हो पाता है। इसके नतीजे बहुत ही भयावय भी साबित हो सकते है। जैसे- मरीज को याददाश्त, तर्क शक्ति और एकाग्रता में कमी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। सूचनाओं का विश्लेषण करने और एकाग्रता से कई काम निपटाने की उसकी क्षमता में भी गिरावट आती है।