हिन्दू महासभा ने किया लक्ष्मण टीला मामले में न्यायालय के निर्णय का स्वागत

लखनऊ। अखिल भारत हिन्दू महासभा ने लक्ष्मण टीला मामले में पूजा के अधिकार की सुनवाई के विरोध में दाखिल मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज किये जाने का स्वागत किया है और विश्वास जताया है कि लक्ष्मण टीला में भक्तों को पूजा का अधिकार के साथ भगवान राम के भाई लक्ष्मण जी को भी जल्द ही भवन मिलेगा।


प्रदेश अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी को विश्वास, जल्द मिलेगा हिन्दुओं को पूजा का अधिकार
मालूम हो कि न्यायालय अपर जिला न्यायाधीष नरेन्द्र कुमार ने सिविल पुनरीक्षण संख्या 208/2023 खारिज करते हुये पूजा के अधिकार के लिये दायर याचिका पर सुनवाई जारी रखने का निर्णय दिया है।

हिन्दू महासभा, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष ऋषि त्रिवेदी ने न्यायालय के निर्णय के स्वागत करते हुये योगी सरकार से मांग की है कि पुरातत्व विभाग के आदेष के अनुपालन में लक्ष्मण टीला से जुड़े विवादित परिसर में निरन्तर टीले वाली मस्जिद के प्रबन्धन द्वारा किये जाने वाले कार्यों पर प्रतिबन्ध लगवाये, ताकि लक्ष्मण टीला से जुड़े सुबूतों को नश्ट होने से बचाया जा सके।

त्रिवेदी ने बताया कि इस मामले को लेकर लक्ष्मण टीला की विवादित भूमि पर बनी टीले वाली मस्जिद प्रबन्धन द्वारा विवादित भूमि पर किये गये अवैध निर्माणों को हटाये जाने को लेकर पुरातत्व विभाग के आदेशों का पालन कराये की मांग को लेकर इसी माह तीन फरवरी को जिलाधिकारी पत्र भेजा गया था

जिसमें पुरातत्व विभाग के निर्देशों के बावजूद जिला प्रषासन द्वारा लक्ष्मण टीला की विवादित जमीन पर हो रही अवैध गतिविधियों पर अनदेखी जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप में लक्ष्मण टीला से जुड़े सबूतों को मिटाने की कोशिशें टीले वाली मस्जिद के प्रबन्धन द्वारा की जा रही है।

मालूम हो कि भारतीय पुरात्व विभाग जिलाधिकारी लखनऊ को 20 सितम्बर 2016 और बीते वर्ष 6 दिसम्बर 2023 को इमामबाड़ा आसफुद्दौला बड़ा इमामबाड़ा के प्रतिषिद्ध क्षेत्र जिसके अन्तर्गत लक्ष्मण टीला की विवादित भूमि भी शामिल है, में कराये गये अवैध निर्माण को हटाये जाने के आदेश जारी किये थे,

लेकिन इन आदेशों के बावजूद टीले वाली मस्जिद का प्रबन्ध तंत्र स्थानीय पुलिस थाने और जिला प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से लक्ष्मण टीला की विवादित भूमि पर अवैध गतिविधियों को निरन्तर अंजाम देता रहता है। परिणामस्वरूप में लक्ष्मण टीला से जुड़े सुबूत नष्ट हो रहे है जो भविष्य न्यायिक लड़ाई में असर डाल सकता है।