आज 11 अक्टूबर यानी की बुधवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उस जनहित याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया है जिसमें मथुरा के शाही ईदगाह मस्जिद स्थित स्थान को कृष्ण जन्मभूमि की मान्यता देने की मांग की गई थी। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव की खंडपीठ ने महक महेश्वरी की याचिका पर दिया है।
पीछले महीने सितंबर को अपना जजमेंट रिजर्व कर लिया था। ये जनहित याचिका साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के वकील महक महेश्वरी द्वारा दाखिल किया गया था। अदालत में मुकदमे का निपटारा होने तक विवादित परिसर में हिंदुओं को पूजा अर्चना की मंजूरी दिए जाने की भी मांग की गई थी।
हिन्दू पक्ष की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि विवादित परिसर में पहले वहां पर मंदिर हुआ करता था, जिसे नष्ट कर शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया था। याचिका में यह भी दावा किया गया है कि जिस क्षेत्र पर अभी मस्जिद है वहां द्वापर युग में कंस की जेल हुआ करती थी, जहां कंस ने भगवान श्री कृष्ण के माता पिता को कैद कर रखा हुआ था और इसी जेल में भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसलिए भगवान का असली जन्मस्थान वही है।
जानकारी के मुताबिक, सुनवाई के दौरान वकील के मौजूद न होने के कारण एक बार ये याचिका खारिज भी की जा चुकी है। ये जनहित याचिका साल 2021, 19 जनवरी को खारिज की गई थी। हाई कोर्ट ने साल 2022 मार्च के महीने में इस जनहित याचिका को री स्टोर किया था। हाईकोर्ट ने इसे सुनवाई के लिए दोबारा पेश किए जाने के आदेश दिए थे।
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