ममता के विरोध के बावजूद सीतलकुची जा पहुंचे राज्यपाल, झेलना पड़ा लोगों का गुस्सा

पश्चिम बंगाल में बीते महीने विधानसभा चुनाव के दौरान कूच बिहार के सीतलकुची इलाके में हुई हिंसक घटना की चर्चा एक बार फिर सियासी गलियारों में सुनाई देने लगी है। इसी वजह बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ है, जिन्होंने बीते दिन इसी इलाके में जाकर हिंसा प्रभावित लोगों से मुलाक़ात की। हालांकि, उनको अपने इस दौरे के दौरान लोगों के विरोध प्रदर्शन का भी सामना करना पड़ा। लोगों ने राज्यपाल के काफिले को रोककर जमकर नारेबाजी की और काले झंडे भी दिखाए।

राज्यपाल ने किया हिंसा पीड़ित परिवार से मुलाक़ात

आपको बता दें कि बीते महीने हुए विधानसभा चुनाव के दौरान सीतलकुची में हिंसक घटना देखने को मिली थी। इस हिंसक घटना में चुनावी ड्यूटी कर रहे सुरक्षाबलों को फायरिंग करनी पड़ी थी जिसकी वजह से चार लोगों की मौत हो गई।

बीते गुरूवार को राज्यपाल ने इन्ही पीड़ित परिवार के मुलाक़ात करने के लिए सीतलकुची का दौरा किया। हालांकि, उनका यह दौरा लोगन को रास न आया और उन्होंने राज्यपाल का जमकर विरोध किया। इस दौरान लोगों ने राज्यपाल का काफिला रोककर ‘दिनहटा वापस जाओ’ की नारेबाजी की और काले झंडे भी दिखाए।

खुद का विरोध किये जाने से राज्यपाल काफी नाराज हुए। उन्होंने गाड़ी से बाहर निकलकर वहां तैनात पुलिस अधिकारियों को जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि नारेबाजी करने वालों के खिलाफ पुलिस कोई एक्शन नहीं ले रही है। उन्होंने कहा कि 15 लोगों की भीड़ इकट्ठा होकर नारा लगा रही है कि भाजपा के गवर्नर वापस जाओ। कानून पूरी तरह खत्म हो गया है। मैं स्तब्ध हूं। मैंने सोचा भी नहीं था कि ऐसी चीज भी हो सकती है।

राज्यपाल ने चुनावों के बाद हो रही हिंसा से प्रभावित गांव के दौरे पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि लोगों की आंखों में भय साफ दिखाई दे रहा था। वे पुलिस के पास शिकायत के लिए जाने से डर रहे थे। घरों को लूट लिया गया। लड़कियों की शादी के लिए रखे गहने और यहां तक कि श्राद्ध के लिए बर्तन तक लूट लिए गए।

अपने इस दौरे के बाद राज्यपाल ने कहा कि वो बंगाल में चुनावों के बाद हो रही हिंसा पर हैरान हैं। देश कोविड महामारी से जूझ रहा है और ऐसे में बंगाल में चुनावों को बाद हिंसा हो रही है। वो भी सिर्फ इसलिए कि कुछ लोगों ने अपनी इच्छा से वोट डालने का फैसला किया था।

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इसके पहले बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक पत्र लिखकर राज्यपाल के इस दौरे का विरोध किया था। उन्होंने कहा था कि धनखड़ का दौरा स्थापित नियमों का उल्लंघन करता है। उन्होंने कहा कि इस दौरे का फैसला मनमाना है और इसको लेकर राज्य सरकार से किसी भी तरह का सलाह-मशविरा नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि धनखड़ राज्य के मंत्रियों को बाइपास कर रहे हैं और अधिकारियों को सीधे निर्देश दे रहे हैं। ये संविधान का उल्लंघन है।