भारत सरकार : एक देश, एक चुनाव की दिशा में बढ़ाया कदम , पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे अध्यक्ष

भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए एक देश, एक चुनाव की दिशा में कदम बढ़ाया है। इसके तहत, सरकार ने चुनाव प्रक्रिया की सुविधा और प्रशासनिक सुविधाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक कमेटी का गठन किया है। इस प्रमुख कमेटी के अध्यक्ष के रूप में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का चयन किया गया है। इस कमेटी के सदस्यों का चयन जल्द ही घोषित किया जाएगा।

इस कदम के पीछे का मुख्य उद्देश्य क्षेत्रीय चुनावों की संख्या को कम करके, चुनाव की व्यवस्था में सुधार करना है। एक साथ होने वाले चुनावों से सरकार की वित्तीय बचत, प्रशासनिक अखंडता, और सुरक्षा उपायोगिता में सुधार होने की संभावना है। राजनीतिक दलों की वित्तीय लागत में भी कमी होने की संभावना है। हालांकि, इस कदम के प्रति विपक्षी दलों ने अपना संदेह व्यक्त किया है। कांग्रेस ने सवाल किया है कि अभी इसकी क्या जरूरत है? पहले महंगाई, बेरोजगारी जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों की रोकथाम के विषय में विचार करना चाहिए।

आखिर सरकार क्यों चाहती है एक साथ चुनाव कराना ?
बता दें, कि चुनाव कराने की वित्तीय लागत, बार-बार प्रशासनिक स्थिरता, सुरक्षा बलों की तैनाती में होने वाली परेशानी और राजनीतिक दलों की वित्तीय लागत को देखते हुए मौजूदा सरकार एक देश, एक चुनाव करने का विचार कर रही है। इसको लेकर सरकार लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराना चाहती है। साल 1951-52 में लोकसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव को एक साथ कराया गया था। इसके बाद साल 1957, 1962 और 1967 में भी लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ हुए थे, लेकिन साल 1968, 1969 में यह कुछ कारणों से भंग हो गया और इसी कारण से अब स्थिति यह हो गई है कि हर साल कहीं ना कहीं चुनाव होते रहते हैं। ऐसे में अब सरकार फिर से लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर विचार कर रही है।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, एक देश, एक चुनाव के प्रस्तावित प्रावधान से क्षेत्रीय दलों को सबसे अधिक प्रभावित होने की संभावना है। क्योंकि लोकसभा चुनाव में आमतौर पर राष्ट्रीय मुद्दों को महत्व दिया जाता है और यह उन्हें वोट देने के लिए प्रेरित करता है। इससे, क्षेत्रीय दलों को नुकसान होने की संभावना है। इस महत्वपूर्ण फैसले को लागू करने से पहले, सरकार को इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि वे सभी पहलुओं को मध्यस्थता के साथ देखें और राजनीतिक दलों के सहमति का पता करें।

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