पार्षद से राष्ट्रपति तक, कैसा रहा द्रौपदी मुर्मू का अब तक का सफर?

आज देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जन्मदिन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मौदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत कई बड़े नेताओं व नामचीन हस्तियों ने उनको जन्मदिन की बधाई दी है. द्रौपदी मुर्मू इससे पहले झारखंड राज्य की राज्यपाल थीं. उन्होंने 25 जुलाई को राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी. दौपदी मुर्मू के जीवन की बात करें तो उन्होंने ओडिशा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कर्मचारी से लेकर राष्ट्रपति बनने तक का बेहद लंबा व मुश्किलभरा सफर पूरा किया है. 

द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को हुआ

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को हुआ था. उपरबेड़ा गांव में जन्मी द्रौपदी मुर्मू एक संथाली आदिवासी परिवार से आती हैं. बेहद पिछड़े इलाके से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू ने तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से आर्ट में ग्रेजुएशन किया. जिसके बाद वह ओडिशा सरकार के सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में चुनी गईं.  राजनीतिक करियर की बात करें तो द्रौपदी मुर्मू 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में पार्षद चुनी गईं. इसके बाद वह रायरंगपुर राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की उपाध्यक्ष बनीं. 2013 में उनके हाथ बड़ी उपलब्धि लगी और वह पार्टी के एसटी मोर्चा की राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य चुनी गईं.

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बीजेपी और बीजेडी की गठबंधन वाली सरकार में वह वाणिज्य और परिवहन मंत्री भी बनीं

बीजेपी और बीजेडी की गठबंधन वाली सरकार में वह वाणिज्य और परिवहन मंत्री भी बनीं. इसके बाद उन्होंने पशु संसाधन मंत्री का भी कार्यभार संभाला. ओडिशा विधानसभा द्वारा उनको साल 2007 में सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया और नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मुर्मू रायरंगपुर विधानसभी सीट से दो बार विधायक चुनी गईं.  साल 2015 में द्रौपदी मुर्मू को झारखंड के राज्यपाल के रूप में शपथ दिलाई गई. मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल थीं. इसके बाद द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी और दूसरी महिला राष्ट्रपति चुनी गईं.