झण्डेवाला पार्क अमीनाबाद में लगे तिरंगे पर अर्पित की गई पुष्प-माला

लखनऊ। प्रतिवर्ष की भाँति आज स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर झण्डेवाला पार्क (अमीनाबाद ) मे पूर्व नेता विधान परिषद – प्रदेश महामंत्री विन्ध्यवसिनी कुमार और शहर की महापौर श्रीमती सन्युक्ता भाटिया ने पार्क मे लगे तिरंगे पर पुष्प-माला अर्पित की और आये गणमान्य लोगों के साथ राष्ट्र गान हुआ । इस अवसर पर विन्ध्यवसिनी कुमार ने देश की आजादी मे अपना सर्वत्र निछावर करने वले महापुरुषो को याद करते हुये कहा की ऐसे महा पुरूषो से हमे देश और समाज के लिये त्याग करने और देश का किसमे हित है ,अपना निहित स्वार्थ को ताक पर रख कर इस बात की चिंता करने की प्रेरणा मिलती है ।

विन्ध्यवसिनी कुमार ने  आज ही के दिन महर्षि अरविंद घोष के जन्मदिन पर उनको याद करते हुये बताया की अरविंद घोष ने कहा था की मेरे जन्मदिन पर देश को आजादी मिलेगी । वह एक स्वतंत्रता सेनानी, कवि, प्रकांड विद्वान, योगी और महान दार्शनिक थे। विन्ध्यवसिनी कुमार ने महर्षि के जीवन की घटनाओ का स्मरण करते हुये बताया की प्रसिद्ध अलीपुर बम केस अरविंद घोष के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। एक वर्ष के लिए अरविंद घोष अलीपुर सेंट्रल जेल के एकान्त कारावास में एक विचाराधीन कैदी रहे। वह अलीपुर जेल की एक गंदे सेल में थे जब उन्होंने अपने भविष्य के जीवन का सपना देखा जहाँ भगवान कृष्ण की चेतना दर्शन हुये और  उन्हें एक दिव्य मिशन पर जाने का आदेश दिया गया। उन्होंने कैद की इस अवधि का उपयोग गीता की शिक्षाओं का गहन अध्ययन और अभ्यास के लिए किया। प्रसिद्ध वकील चित्तरंजन दास ने श्री अरविंद घोष का बचाव किया और एक यादगार सुनवाई के बाद उन्हें बरी कर दिया गया।
अपने कारावास के दौरान अरविंद घोष ने योग और ध्यान में अपनी रुचि को विकसित किया। अपनी रिहाई के बाद उन्होंने प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास शुरू कर दिया 1910 में श्री अरविंद घोष कलकत्ता छोड़ पांडिचेरी में बस गए। पांडिचेरी में वह अपने एक दोस्त के घर पर रुके। शुरुआत में वह अपने चार से पांच साथियों के साथ रहे। फिर धीरे धीरे सदस्यों की संख्या में वृद्धि हुई और एक आश्रम की स्थापना हुई ।
पांडिचेरी में चार साल तक योग पर अपना ध्यान केंद्रित करने के बाद वर्ष 1914 में श्री अरविंद घोष ने आर्य नामक दार्शनिक मासिक पत्रिका का शुभारम्भ किया। श्री अरविंद घोष के दर्शनशास्त्र तथ्य, अनुभव, व्यक्तिगत आभाष और एकद्रष्टाया ऋषि की दृष्टि होने पर आधारित है। अरबिंदो की आध्यात्मिकता अभिन्नताओं के कारण एक जुट थी।

अरविंद घोष का लक्ष्य केवल किसी व्यक्ति को उन बेड़ियों से जो उन्हें जकड़े हुए थीं और इस के एहसास से मुक्त करना नहीं था बल्कि ब्रह्माण्ड की सम्पूर्ण सकारात्मक शक्तियों को एकजुट कर एक आध्यात्मिक परिवर्तन लागू करना और मानसिक, मार्मिक, भौतिक जगत और मानव जीवन में दिव्यशक्ति और दिव्य आत्मा को लाना था । इस अवसर पर महापौर श्रीमती सन्युक्ता भाटिया ने कहा की हम सभी का कर्तव्य है की हम सभी ऐसे ऐतहासिक पार्क को सँजो कर रखे । देश के महापुरुष हमारी युवा पीढ़ी के लिये प्रेरणाप्रेरणादायी है । कार्यक्रम मे नगर निगम के उपाध्यछ रजनीश गुप्ता  को ऑपरेटिव के अध्यछ  मान सिंह, अनुसूचित आयोग के सदस्य रमेश तूफानी , ,ऐडवोकेट किशन लोधी विजय गुलाटी, संजय कपूर, मंडल अध्यछ जीतेन्द्र राजपूत,मंडल अध्यछ शैलू सोनकर अरुण सिंह,, विनीत यादव, सहित अन्य गणमान्य लोगो ने तिरंगे पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम मे भाग लिया।