चिदंबरम ने उठाया जी-7 समूह की बैठक का मुद्दा, मोदी के भाषण को बताया अजीबो-गरीब

वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने जी-7 समूह की बैठक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘लोकतंत्र एवं वैचारिक स्वतंत्रता’ पर जोर देने को लेकर उन पर कटाक्ष किया है। चिदंबरम ने कहा कि मोदी सरकार पूरी दुनिया को उपदेश तो देती है लेकिन उस पर खुद अमल करने पर विचार नहीं करती है।

चिदंबरम ने ट्वीट पर उठाई उंगली

पी. चिदंरबम ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि जी-7 आउटरीच बैठक में प्रधानमंत्री मोदी का भाषण प्रेरक होने के साथ-साथ अजीबो-गरीब भी था। मोदी सरकार जो उपदेश दुनिया को देती है उसे पहले भारत में अमल में लाना चाहिए।

कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि यह दुख की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी एकमात्र ऐसे अतिथि थे जो आउटरीच बैठक में सीधे तौर पर मौजूद नहीं थे। अपने आप से पूछिए क्यों? क्योंकि जहां तक कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई का सवाल है, तो भारत की स्थिति सबसे अलग है। हम जनसंख्या के अनुपात में सबसे अधिक संक्रमित और सबसे कम टीकाकरण वाले देश हैं।

दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने बीते दिन रविवार को जी-7 शिखर सम्मेलन के ‘मुक्त समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्थाएं’ सत्र में मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने संबोधन में लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और स्वाधीनता के प्रति भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया था।

यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट को सुनाई गई बंगाल हिंसा के दर्द की दास्तां, गोधरा कांड का भी किया जिक्र

उन्होंने यह भी कहा की तानाशाही, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर-जबरदस्ती से उत्पन्न विभिन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 का एक स्वाभाविक साझेदार है।