चमोली ग्लेशियर हादसा: प्रत्येक मृतक के परिवार को 4 लाख की मदद का ऐलान

देहरादून। उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने की घटना के बाद हुई तबाही की जद में आए प्रत्येक मृतक के परिवार को राज्य सरकार ने चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है। प्रभावित इलाकों का हेलीकॉप्टर और और सड़क मार्ग से दोपहर बाद निरीक्षण करने के बाद लौटकर देहरादून पहुंचे मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने यहां शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान यह घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने इस आपदा में भारी तबाही होने की आशंका व्यक्त की है। उन्होंने बताया कि इस हादसे में अभी तक तकरीबन 125 लोग लापता हैं लेकिन वास्तव में कितने लोगों की मौत हुई है और कितने लोग लापता हैं, यह पक्के तौर पर कहा नहीं जा सकता। उन्होंने बताया कि रैणी गांव के पांच लोगों की मौत के बारे में सूचना मिली है। ऋषि गंगा पॉवर प्रोजेक्ट के टनल में फंसे कई लोगों को स्थानीय नागरिकों और रेस्क्यू टीम की मदद से सकुशल बचा लिया गया है। 
उन्होंने बताया कि प्रोजेक्ट स्थल पर उस समय ड्यूटी पर  तैनात उत्तराखंड पुलिस के दो जवान लापता हैं। ऋषि गंगा प्रोजेक्ट में काम करने वाले करीब 29-30 लोग भी लापता हैं। वहां करीब पांच किलोमीटर नीचे तपोवन में निर्माणाधीन पॉवर प्रोजेक्ट में बड़ी संख्या में श्रमिक काम कर रहे थे। जानकारी के अनुसार 176 श्रमिक ड्यूटी पर निकले थे। एक टनल में 15 लोग और दूसरी में 30-35 लोग थे। इस हादसे के समय शोरगुल होने पर 35-40 लोग बचा लिए गए। एक श्रमिक घायल है। अभी तक सात शव बरामद हुए हैं। दूसरी टनल में काफी मलबा अंदर घुसने के कारण अंदर घुसना काफी जोखिम भरा काम था। आईटीबीपी दल के जवान रोपवे के सहारे वहां उतरे भी लेकिन मशीन नहीं पहुंच सकती, क्योंकि टनल में काफी मात्रा में गाद भरी हुई है।

मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बताया कि आईटीबीपी के जवानों उस सुरंग को खोलने का प्रयास किया है। 250 मीटर लंबी इस सुरंग में आईटीबीपी के जवान करीब 150 मीटर अंदर तक पहुंच गए हैं। सेना की हमें पूरी मदद मिल रही है और एनडीआरएफ की एक टीम दिल्ली से यहां पहुंची है। जौलीग्रांट से उन्हें बसों द्वारा घटनास्थल के लिए रवाना किया गया है। मेडिकल सुविधा के रूप में सेना, अर्धसैन्य बलों और राज्य सरकार के डॉक्टर वहां कैम्प कर रहे हैं। सीएमओ, एसपी और डीएम भी कैम्प किए हुए हैं। 

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मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने बताया कि गढ़वाल के कमिश्नर और डीआईजी के साथ उन्होंने भी एरियल सर्वे किया और उसके बाद रैणी गांव में सड़क मार्ग के जरिये जहां तक पहुंचा जा सकता था, वहां भी गए और हालात का जायजा लिया। एसडीआरएफ की 60 लोगों की एक टीम  बचाव उपकरणों के साथ वहां पहुंच गई है। एक मोटर पुल और चार छोटे पुल तबाह हुए हैं। 17 गांव सभाओं में से सात गांव सर्दियों में दूसरे इलाके में प्रवास पर चले जाते हैं, 11 गांव के लोग वहां रहते हैं। उनकी हर जरूरतों को पूरा करने के लिए सेना के तीन और वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर तथा राज्य सरकार के हेलीकॉप्टर तैनात किए गए हैं। गौचर से आईटीबीपी के 90 जवान वहां के लिए निकल चुके हैं। 

उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब हादसे के बारे में पता चला तो उस वक्त प्रधानमंत्री हेलीकॉप्टर में थे और मैं एरियल सर्वे के लिए हेलीकॉप्टर में था। प्रधानमंत्री ने मुझे दो बार फोन किया और भारत सरकार की तरफ से हर संभव मदद का भरोसा दिया। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का भी फोन आया और उन्होंने चिंता व्यक्त की। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, गुजरात के सीएम विजय रूपाणी ने भी फोन कर मदद का भरोसा दिया। उद्योगपति अनंत अम्बानी और आचार्य बालकृष्ण ने भी फोन किया और हरसंभव मदद की पेशकश की।