बीजेपी ने खोली ममता के मुख्य सलाहकार के काले कारनामों की पोल, राज्यपाल से की बड़ी मांग

पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाक़ात करने के बाद पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंदोपाध्याय पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी को हराने वाले शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया है कि नौकरशाह जो 31 मई तक केंद्र सरकार के कैडर थे, अब सत्ताधारी पार्टी का हिस्सा बन गए हैं। उन्होंने पूर्व मुख्य सचिव पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करने के लिए जांच कराने की भी मांग की।

शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल से की मुलाक़ात

बुधवार को शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की। दोनों के बीच लंबे समय तक बीतचात हुई। शुभेंदु अधिकारी ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा और अलपन बंदोपाध्याय के खिलाफ जांच की मांग की।

राजभवन से बाहर आने के बाद मीडिया से रूबरू होते हुए शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि आज मैं राज्यपाल से मिला, जिन्हें विपक्ष के नेता के रूप में देखा जाता है, मैंने उन्हें बताया है कि कैसे पूरे राज्य में हिंसा चल रही है। उन्होंने कहा कि जब 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत हुई, तब मुख्यमंत्री ने नकली किट की खरीद की जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था। अलपन बंदोपाध्याय उस समिति के अध्यक्ष थे। उस कमेटी की रिपोर्ट कहां है? विपक्ष के नेता के तौर पर मैं मांग करता हूं कि रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए।

शुभेंदु ने कहा कि अंडाल एयरपोर्ट के लिए 2300 एकड़ जमीन किसानों से ली गई थी। अलपन बंदोपाध्याय उस समिति के प्रभारी थे। सरकार की इक्विटी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 11 प्रतिशत, फिर 28 प्रतिशत और फिर 48 प्रतिशत कर दी गई है। केंद्र सरकार ने वहां काफी पैसा उधार दिया है। अलपन बंदोपाध्याय सरकार की कई अवैध गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री उन्हें बचाने की पूरी कोशिश कर रही हैं। और प्रधानमंत्री का अपमान कर संविधान से परे जाने की कोशिश की जा रही है।

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आपको बता दें कि मुख्य सचिन बीजेपी के नेतृत्व वाली मोदी सरकार के निशाने पर तब आए थे। जब पीएम मोदी ने बंगाल में यास तूफ़ान को लेकर समीक्षा बैठक बुलाई थी। इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी को ममता के साथ यास चक्रवात की वजह से हुए नुकसान पर चर्चा करना था। आरोप है कि इस बैठक में ममता बनर्जी अपने मुख्य के साथ 30 मिनट देरी से आई और अन्य बैठकों का हवाला देते हुए तुरंत वहां से चली गई। 

इस घटना के बाद मोदी सरकार ने मुख्य सचिव का तबादला करते हुए 1 जून को दिल्ली आने का निर्देश दिया था, लेकिन मुख्य सचिव ने सेवानिवृत्त होकर मोदी सरकार के आदेशों की अवमाना की। उधर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें अपना मुख्य सलाहकार बनाए जाने की घोषणा कर दी। मोदी सरकार ने बीते दिन मुख्य सचिव् के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया है।