25 साल बाद बदली गैंगस्टर विकास दुबे के बिकरू गांव की तस्वीर, हुई लोकतंत्र की जीत

यूपी में हुए पंचायत चुनाव में वोटों की गिनती के बीच कानपुर से एक बड़ी खबर सामने आई है। गैंगस्टर विकास दुबे के गांव बिकरू में करीब 25 साल बाद निष्पक्ष प्रधान चुना गया है। विकास दुबे के गांव में रिजर्व सीट पर मधु ने जीत दर्ज की है। उन्होंने बिंदु कुमारी को 54 वोटों से मात दी है। 25 सालों में ये पहली बार है जब यहां पर निष्पक्ष तरीके से चुनाव हुआ है। इससे पहले गैंगस्टर विकास दुबे अपने रसूख के दम पर अपने खास लोगों को ही चुनाव जितवा देता था।

विकास दुबे बिकरू से अपने परिवार के सदस्यों और अपने करीबी उम्मीदवारों को इस सीट से चुनाव लड़वाता था और उन्हें निर्विरोध जितवाता भी था। किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह विकास दुबे के खिलाफ जा सके। लेकिन विकास दुबे के अंत के बाद एक बार फिर यहां पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव हुआ और मधु ने इस सीट पर जीत हासिल की है।

विकास दुबे के गांव में 25 साल बाद लोकतंत्र

पहले इस गांव में चुनाव सिर्फ नाम के लिए ही होता था। गैंगस्टर विकास दुबे खुद ही अपने उम्मीदवार को जितवाता था और खुद ही उसकी जीत की घोषणा भी कर देता था। लोग न चाहते हुए भी विकास के खौफ की वजह से उसके उम्मीदवार को वोट देने के लिए मजबूर होते थे। विकास दुबे हथियारों और खौफ के दम पर अपने प्रत्याशी को चुनाव जितवाता था।

लेकिन इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग है। इस बार न कोई खौफ था और न ही हथियारों का डर और न ही डर दिखाने वाला विकास दुबे। इस बार का पंचायत चुनाव बिकरू गांव में निष्पक्ष तरीके से लड़ा गया। आज बिकरू गांव में 25 साल बाद एक बार फिर से बिना डर और खौफ वाला प्रधान चुना गया है।

मधु ने बिंदु कुमारी को हराकर जीता चुनाव

विकास दुबे साल 1995 में पहली बार गांव का प्रधान बना था। उसके बाद से हर बार उसके खौफ के साए में ही चुनाव होते थे। उसके गुर्गे लोगों को डरा धमकाकर वोट अपने उम्मीदवारों के नाम करवाते थे। जो कोई भी उसका विरोध करने की कोशिश करता था उसकी आवाज को पैसे के बल पर दबा दिया जाता था। इस रिजर्व सीट पर इस चुनाव में 10 उम्मीदवारों ने पर्चा दाखिल किया था। उम्मीदवारों ने बिना डरे अपनी जीत के लिए खुलकर चुनाव प्रचार भी किया था।

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खास बात ये है कि बिकरू गांव अब विकास दुबे की दहशत से पूरी तरह से मुक्त हो चुका है। यहां पर 25 साल बाद गांव वालों को अपनी पसंद का प्रधान मिला है, जिसे उन्होंने अपनी मर्जी से चुना है, किसी खौफ और डर के साए में रहकर नहीं। मधु को गांव वालों ने अपना प्रधान चुना है। उन्होंने अपनी विरोधी बिंदु कुमारी को 54 वोटों से मात दी है।