अयोध्या के दीपोत्सव ने राम नगरी को दिलाई अंतर्राष्ट्रीय पहचान

उत्तर प्रदेश में त्योहार तो पहले भी मनाए जाते थे लेकिन जिस ढंग से अब त्योहार मनाए जाते हैं, उसकी खुशी चौगुनी हो गई है। ऐसा लगता है कि सारा शहर आनंद में मग्न हो गया हो । लोग अपने घरों में त्योहारों को मनाकर खुशियां पा लिया करते थे, लेकिन अब उन खुशियों में प्रदेश की सरकार के शामिल हो जाने से उत्साह द्विगुणित हो गया है। चाहे वह दीपावली पर अयोध्या में होने वाला दीपोत्सव हो या प्रदेश की राजधानी में गोमती तट का दीपोत्सव हो।

अयोध्या में दीपोत्सव होता है तो पूरे प्रदेश में उसका उत्साह दिखाई पड़ता है और इसी तरह से लखनपुरी में दीपोत्सव होता है तो उसी बयार भी पूरे प्रदेश में फैलती है। बीती दीपावली को अयोध्या में दीपोत्सव हुआ तो उसका असर पूरे प्रदेश में दिखा। पूरी अयोध्या को दुल्हन की तरह से सजाया गया था। चहुंओर ही प्रज्जवलित दीप की आभा दिखाई पड़ी थी, जिसने लोगों में एक हर्षोल्लास का वातावरण बनाया है। ये प्रज्जवलित दीपक अयोध्या की खोई हुई गरिमा को लौटा रहे थे। लगा था कि यह प्रभु श्रीराम की नगरी है

और वह जब लंका विजय के बाद वापस अयोध्या वापस आए थे तो शायद ऐसे ही अयोध्या को सजाया गया होगा। दूसरी ओर वहीं श्रीराम लीला के मंचन ने भी लोगों मेें अपने आराध्या के प्रति भक्ति और श्रद्धा का सैलाब उमड़ा दिया। अयोध्या के दीपोत्सव के आयोजन में राम की पैड़ी पर दीये जलाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड लगातार चार वर्षों तक बनाया है।

अयोध्या के पीठाधीश्वर बाल मुकुंदाचार्य ने बताया कि अयोध्या में दीपोत्सव के होने से इस धार्मिक नगरी को अंतर्राष्ट्रीय स्तर की पहचान मिली है। इसके अलावा श्रीराम लला के मंदिर निर्माण से इस शहर में पर्यटकों का आना काफी हो गया है। इससे यहां के लोगों को रोजगार भी मिला है। उन्होंने बताया कि इस शहर की अब एक धार्मिक पर्यटक स्थल के रूप में होने लगी है।

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लखनपुरी में भी पिछले सालों से दीपोत्सव होने लगा है। दीपोत्सव पर पूरा शहर रोशनी से जगमगा उठता है। यहां गोेमती के किनारे मेला लगता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं । गोमती तट के अलावा हनुमान सेतु गोमती नदी पुल, परिवर्तन चौक पर भी बिजली की झालर के जगमगा उठते हैं। लखनपुरी में दीपावली पर होने इस दीपोत्सव से चार चांद लग जाते हैं।