फरवरी में ही अप्रैल वाली गर्मी, उत्तराखंड में समय से पहले चढ़ने लगा पारा, ग्लेशियर पिघलने का खतरा

उत्तराखंड में इस बार गर्मी कहर बरपा सकती है. हालात ये हैं कि बारिश नहीं होने से फरवरी में ही पारा आसमान जा पहुंचा है. पहाड़ों में जहां तापमान इन दिनों सामान्य से 8 डिग्री अधिक है, वहीं मैदान में भी पारा लगातार बढ़ रहा है. मौसम का ये बदला मिजाज कई दिक्कतों को न्यौता भी दे रहा है.

जिस फरवरी के महीने उत्तराखंड में कड़कड़ाती ठंड से लोग दो-चार होते थे, वहां इन दिनों गर्मी कहर बरपाने लगी है. राज्य के पहाड़ी इलाकों में आजकल जहां पारा 8 डिग्री अधिक है, वहीं मैदान में ये सामान्य से 5 डिग्री ऊपर जा पहुंचा है.

मौसम विभाग के मुताबिक आने वाले दिनों में भी पारा बढ़ता ही जाना है. असल में उत्तराखंड में बीते 5 महीनों से अच्छी बारिश नहीं हुई है. यही नही ऊंचे इलाकों में इस बार बर्फबारी भी काफी कम हुई है. बारिश और बर्फबारी नहीं होने से फरवरी में ही मौसम का मिजाज अप्रैल जैसा हो गया है. उत्तराखंड मौसम विभाग के निदेशक विक्रम सिंह का कहना है कि आने वाले दिनों में तापमान में और अधिक इजाफा होगा, साथ ही उन्होनें बताया कि तापमान में इजाफा पहाड़ी और मैदानी दोनों इलाकों में होगा.

ऊंचाई वाले इलाकों में एवलांच का खतरा मंडराया

पारा चढ़ने से ऊंचे इलाकों में एवलांच आने का खतरा भी मंडरा रहा है. लगातार बढ़ रहे पारे से बर्फीले पहाड़ तेजी से गल रहे हैं जो कभी भी भयावह एवलांच की शक्ल अख्तियार कर सकते हैं. उत्तराखंड में इस साल बारिश और बर्फबारी 90 फीसदी कम हुई है. मौसम के इस बदले मिजाज के कारण राज्य में जलसंकट का भी खतरा मंडरा रहा है. हालात तो इस कदर भयावह है कि विशालकाय नदियों का जलस्तर आए दिन गिर रहा है, वहीं छोटी नदियां और धारे सर्दियां खत्म होने से पहले ही सूखने लगे हैं. मौसम की ये बेरूखी खेती और बागवानी पर पहले ही भारी पड़ चुकी है. विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान केन्द्र के निदेशक डा0 लक्ष्मीकांत का कहना है कि इस साल बारिश और बर्फबारी काफी कम होने से रबी की फसलें बर्बाद हो गई हैं.

फॉरेस्ट फायर का भी डर

बीते कुछ सालों में उत्तराखंड के मौसम में लगातार बदलाव दिख रहा है लेकिन इस साल जैसी बेरूखी मौसम ने दिखाई है उसका अभी से चौतरफा असर भी होने लगा है. अगर आने वाला समय भी यूं ही रहा तो तय है कि गर्मी का सितम जिंदगियों पर तो भारी पड़ेगा ही, साथ ही सूखे जैसे हालात होने पर पानी और खेती का संकट भी राज्य को झेलना पड़ेगा. यही नही लगातार बढ़ रहा पारा फॉरेस्ट फायर की घटनाओं में भी भारी इजाफा करेगा