हरियाणा में होगी RSS की वार्षिक बैठक, अगले साल के लिए बनाई जाएगी रणनीति, जानें अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा का महत्व

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) रविवार (12 मार्च, 2023) से अपनी वार्षिक अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) आयोजित करने जा रहा है। इस तीन दिवसीय सभा का आयोजन 12-14 मार्च को हरियाणा के समालखा में किया जाएगा। यह सभा सालभर की संघ की गतिविधियों की समीक्षा के लिए आयोजित की जाती है और आगे के लिए योजनाएं बनाई जाती हैं। सभा हर साल मार्च महीने के दूसरे या तीसरे रविवार को होती है।

ABPS संघ के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले मंच के रूप में काम करता है। यह आरएसएस की रणनीतियों पर चर्चा करने के साथ-साथ संघ शिक्षा वर्ग की योजना बनाता है और आयोजन करता है। यह प्रशिक्षण शिविर आमतौर पर हर गर्मियों में मई-जून में आयोजित किए जाते हैं।

ABPS की बैठक में कौन-कौन होता है शामिल?

बैठक में कुल मिलाकर देशभर के लगभग 1,400 प्रतिनिधि भाग लेते हैं, जिनमें राष्ट्रीय कार्यकारिणी के क्षेत्रीय और प्रांत के कार्यकारी, ABPS के निर्वाचित सदस्य और सभी विभाग प्रचारक शामिल हैं। एबीपीएस में देश के लगभग हर जिले का प्रतिनिधि है। इन प्रतिनिधियों में से अधिकांश सक्रिय स्वयंसेवकों के अखिल भारतीय प्रतिनिधि हैं। लगभग 50 सक्रिय स्वयंसेवकों का प्रतिनिधित्व एक प्रांतीय प्रतिनिधि द्वारा किया जाता है, जबकि हर अखिल भारतीय प्रतिनिधि 20 राज्य प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व करता है।

इसमें आरएसएस से जुड़े अन्य संगठनों के पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया है। ऐसे में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, महासचिव बीएल संतोष और भाजपा में संयुक्त महासचिव (संगठन) के रूप में तैनात आरएसएस प्रचारक शिव प्रकाश जैसे चुनिंदा नेताओं के बैठक में शामिल होने की उम्मीद है। आरएसएस के सभी पूर्व प्रांत प्रचारकों को एबीपीएस में आमंत्रित किया जाता है। आम प्रतिनिधि जहां तीन दिन बैठक में रहते हैं, वहीं उसके राष्ट्रीय पदाधिकारी 3-4 दिन पहले ही पहुंच जाते हैं और बैठक खत्म होने के बाद 2-3 दिन तक रहते हैं।

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इस साल एबीपीएस में देश के मौजूदा हालातों पर चर्चा होने के अलावा, अगले साल होने वाले आम चुनाव और विधानसभा चुनाव को लेकर भी रणनीति तैयार करने की संभावना है। सूत्रों ने कहा कि पंजाब में खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने के प्रयास, रोजगार सृजन, रामचरितमानस विवाद के आलोक में जाति प्रश्न, संघ परिवार में महिलाओं की बढ़ती भूमिका, जनसंख्या नियंत्रण और कुछ जगहों में संघ की नकारात्मक छवि को बदलने के प्रयास जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो सकती है।