त्रिपुरा-गोवा के बाद अब यूपी पर टिकी ममता की नजर, सियासी जमीन तलाशने में जुटी तृणमूल

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर लगातार दूसरी बार सत्ता पर काबिज हुई तृणमूल कांग्रेस अपना राजनीतिक अस्तित्व बढाने की कवायद में जुटी हैं। इसी क्रम में तृणमूल कांग्रेस मुखिया ममता बनर्जी की नजर त्रिपुरा और गोवा के बाद अब उत्तर प्रदेश पर भी आकर टिक गई है। बताया जा रहा है ममता इन दिनों यूपी में अपनी सियासी जमीन तलाशने की कवायद में जुटी हैं। माना जा रहा है ममता आगामी यूपी चुनाव में टाल ठोकने की तैयारी कर रही हैं।

सपा-बसपा के संपर्क में हैं तृणमूल

तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां के मुख्य राजनीतिक दलों से लगातार संपर्क में हैं।बीते दिन उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रहे कमलापति त्रिपाठी के पड़पोते और कांग्रेस नेता ललितेश त्रिपाठी तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

चुंकि, उत्तर प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक जमीन नहीं है, लिहाजा वह प्रदेश में पहले से मौजूद किसी पार्टी के साथ गठबंधन करने की कोशिशों में है। पार्टी सूत्रों के अनुसार तृणमूल कांग्रेस के नेता बहुजन समाजवादी पार्टी की सुप्रीमो मायावती से मुलाकात कर आए हैं। हालांकि मायावती ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं। तृणमूल इसी के साथ समाजवादी पार्टी के साथ भी गठबंधन के विकल्प खंगाल रही है।

सूत्रों के मुताबिक पार्टी के आला नेता सपा के नेताओं से भी संपर्क साध रहे हैं। इस संबंध में दो बैठकें भी की जा चुकी हैं। माना जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के विकल्प के तौर उभर सकती है। इसके लिए कुछ सीटों पर सपा के साथ गठबंधन भी कर सकती है। इस मुद्दे पर सपा के नेताओं के साथ तृणमूल लगातार संपर्क में है।

तृणमूल इसके अलावा सी प्लान के साथ भी तैयारी कर रही है। नेता उत्तर प्रदेश में ऐसी सीटें तलाश रहे हैं, जहां बंगाली समुदाय के लोगों की संख्या अधिक है। मथुरा, वृंदावन में तीन लाख से अधिक बंगाली समुदाय के लोग रहते हैं। इन सीटों पर भी संभावनाओं को खंगाला जा रहा है।

तृणमूल प्रवक्ता विवेक गुप्ता ने कहा कि विधानसभा चुनाव के मद्देनजर तृणमूल कांग्रेस अब नई संभावनाएं तलाश रही है। उन्होंने बताया कि गोवा, त्रिपुरा में तृणमूल कांग्रेस चुनाव लड़ने जा रही है। बाकी स्थानों में भी कांग्रेस के विकल्प के तौर पर पार्टी अपने भविष्य को देख रही है। उन्होंने कहा कि पार्टी अब कांग्रेस के सहारे नहीं रहना चाहती। लिहाजा अब सभी चुनावी राज्यों पर तृणमूल की नजर है। चुनावी राज्यों में सशक्त विपक्ष के तौर पर भाजपा को हराने के लिए तृणमूल कांग्रेस काम करेगी।

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उल्लेखनीय है कि तृणमूल कांग्रेस अभी क्षेत्रीय दल है लेकिन पश्चिम बंगाल में भारी जीत के बाद उसका उत्साह काफी ऊंचा है। अब ममता बनर्जी तृणमूल के लिए राष्ट्रीय दल का दर्जा पाने के लिए कम से कम चार राज्यों में अपनी राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुट गई हैं। इसके साथ ही बिखरे हुए विपक्ष को भी एकजुट करके पश्चिम बंगाल की तरह भाजपा को कड़ी टक्कर देने की दिशा में पार्टी काम कर रही है।