असद के बाद अब ये है यूपी एसटीएफ के निशाने पर, अगला नंबर हो सकता है इसका………?

माफिया अतीक अहमद के बेटे असद का यूपी एसटीएफ ने झांसी में हुए एक एनकाउंटर  में मार गिराया है. अब खबर ये है कि बमबाज गुड्डू मुस्लिम भी एसटीएफ के घेरे में है और उसका भी किसी भी वक्त एनकाउंटर हो सकता है. खबरों के मुताबिक गुड्डू मुस्लिम को यूपी एसटीएफ ने जालौन में घेर लिया है. पुलिस के साथ उसकी मुठभेड़ जारी है.

कौन है गुड्डू मुस्लिम

गुड्डू मुस्लिम कौन है? यह प्रश्न आपके भी मन में है तो आपको उमेश पाल हत्याकांड को याद करना चाहिए. सीसीटीवी फुटेज में जो शख्स उमेश पाल के घर में बम फेंकते हुए दिखाई दिया था, वही गुड्डू मुस्लिम है. अब इस बमबाज गुड्डू मुस्लिम को यूपी पुलिस की एसटीएफ ने घर लिया है.

गुड्डू को अतीक अहमद का एक रिमोट ट्रिगर माना जाता है, जिसका निशाना अचूक माना जाता है. जुर्म की दुनिया में गुड्डू मुस्लिम को हथछूट बमबाज के रूप में भी जाना जाता है. माना जाता है कि बाइक पर चलते-चलते बम को बांधना और टार्गेट पर फेंकना उसके बांए हाथ का खेल है.

गुड्डू मुस्लिम को गौर से देखेंगे तो यह कद काठी में बिल्कुल अतीक अहमद जैसा ही है. वह करीब दो दशकों से अतीक अहमद के साथ है और कदकाठी छोटी होने के बावजूद अतीक अहमद के गैंग में उसका कद काफी ऊंचा माना जाता है.

असद का एनकाउंटर हुआ

असद पर उमेश पाल की हत्या का आरोप है. असद और उसका साथी गुलाम प्रयागराज में शूटआउट के बाद से ही फरार थे. यूपी एसटीएफ ADG ने बताया कि दोनों के पास से अत्याधुनिक हथियार बरामद हुए हैं. पुलिस ने असद और गुलाम के पास से ब्रिटिश बुलडॉग रिवॉल्वर .455 बोर और वॉल्थर पी88 7.63 बोर पिस्टर भी बरामद की है. उमेश पाल हत्याकांड में में इन्ही हथियारों का इस्तेमाल हुआ था.

क्या है उमेश पाल हत्याकांड की कहानी

ज्ञात हो कि उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 को प्रयागराज में हत्या कर दी गई थी. सरेआम की गई इस हत्या का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया, जिसमें असद को साफ देखा जा सकता है. जिस समय उमेश पाल की हत्या हुई, उस समय उनके साथ दो सुरक्षाकर्मी भी थे.

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बता दें कि उमेश पाल साल 2005 में हुई बसपा विधायक राजू पाल की हत्या का मुख्य गवाह थे. हालांकि, उस मामले की जांच कर रही सीबीआई ने उमेश पाल को हत्याकांड का गवाह नहीं माना था. 24 अप्रैल को उमेश पाल जैसे ही अपने घर पहुंचे, वैसे ही बदमाशों ने पहले उनकी कार पर गोलियां चलाईं. गोली की आवाज सुनकर वह जैसे ही अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ घर की ओर भागने लगे तो उन पर दो बम फेंके गए.

अस्पताल में इलाज के दौरान उमेश पाल और उनके गनर संदीप मिश्रा की मौत हो गई. उनके दूसरे गनर राघवेंद्र सिंह की भी बाद में लखनऊ के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई.