संकट में अफगानिस्तान, खाने के लिए सोफे, गद्दे और बर्तन लेकर सड़क पर बैठेने को लोग मजबूर

अफगानिस्तान में आर्थिक संकट तेजी से गहराता जा रहा है। यहां कैश की भारी कमी हो गई है और लोगों के पास देश छोड़कर जाने या फिर खाने का सामान खरीदने तक के पैसे नहीं हैं। जिसके कारण अब वो अपने घर में रखे सामान को बेचने के लिए मजबूर हैं। काबुल के एक बाजार में लोगों की काफी भीड़ देखी जा रही है। तालिबान के कब्जे के बाद आम लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वो काफी कम दाम पर अपने घर का सामान बेच रहे हैं।

बाजार में बेचे जाने वाले सामान में प्लेट, ग्लास, रसोई का दूसरा सामान, 1990 के दशक के टेलीविजन सेट, पुरानी सिलाई मशीन, कार्पेट, सेकेंड हैंड सोफे और पलंग शामिल हैं। लोगों का कहना है कि तालिबान के आने के बाद अब देश में नौकरियां नहीं बची हैं। लोग हर हफ्ते बैंक से केवल 200 डॉलर ही निकाल सकते हैं। लेकिन इतने पैसे निकालने के लिए भी बैंक के बाहर लंबी लाइन लगानी पड़ रही है। जिससे साफ पता चलता है कि देश में कैश की भारी कमी हो गई है।

गरीबों के पास खाने को कुछ नहीं

काबुल के बाजार में अपने दो कंबल बेचने आए मोहम्मद अहसान नामक शख्स ने कहा, ‘हमारे पास खाने को कुछ नहीं बचा है, हम गरीब हैं और मजबूर होकर ये चीजें बेच रहे हैं।’ अहसान एक मजदूर हैं। वह एक इमारत के निर्माण से जुड़े प्रोजेक्ट के लिए काम कर रहे थे जिसे अब या तो रद्द कर दिया गया है या फिर निलंबित किया गया है। उनका कहना है, ‘अमीर लोग काबुल में थे लेकिन अब सभी भाग गए हैं।’ उन्हीं के जैसी हालत देश के बाकी लोगों की भी है। लोग सड़कों पर अपना सामान रखकर जगह-जगह बैठे हुए हैं।

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तालिबान ने आतंकी को बनाया गृह मंत्री

तालिबान ने बीते महीने की 15 तारीख को काबुल में प्रवेश कर देश पर कब्जे की घोषणा की थी। इसी दिन लोगों की चुनी हुई अफगान सरकार गिर गई और तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। बीते हफ्ते तालिबान ने अंतरिम सरकार का ऐलान किया था। जिसे तालिबान ने हक्कानी नेटवर्क के साथ मिलकर बनाया है। इस सरकार में मोस्ट वॉन्टेड वैश्विक आतंकी और हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी को गृह मंत्री बनाया गया है। जबकि तालिबान के संस्थापक मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब को रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी मिली है। इस तरह की सरकार बनने से लोगों को देश के हालात सुधरने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही।