नए स्वरूप में दिखेगा आदिशक्ति ‘मां ललिता देवी’ मंदिर, भक्तों का मन मोह लेगा परिसर

नैमिषारण्य। विवेक दीक्षित

विश्वप्रसिद्ध शक्तिपीठ ललिता देवी मंदिर का स्वरूप इस बार श्रद्धालुओं को बदला हुआ और भव्य नजर आएगा। मंदिर परिसर में मुख्य प्रवेश द्वार से लेकर अंदर तक का परिदृश्य पूरी तरह बदल चुका है। शारदीय नवरात्रि पर्व में आने वाले देवीभक्तों को अलग ही अनुभूति होगी। आदिशक्ति के दर्शन करने के यहां भारी भीड़ उमड़ती है।

जर्जर भवनों को पुनर्निर्माण किया गया

करीब एक वर्ष से चल रहे सौंदर्यीकरण एवं अन्य विकास कार्यों को लगभग पूरा कर दिया गया है। मंदिर परिसर के जर्जर भवनों को पुनर्निर्माण किया गया है, इसके अलावा  पुरानी फर्श को तोड़कर नए ग्रेनाइट पत्थर कोटा स्टोन पत्थर, पेयजल के लिए वाटर कूलर और टंकियों को लगाया गया है। मंदिर के हवनकुंड पर भी टीन शेड लगाया गया है ।

मंदिर की प्रकाश व्यवस्था को सुदृढ़ किया गया है रात्रि में 25 हाईमास्ट लाइटों से मंदिर जगमगा उठता है। मंदिर के एक हिस्से पर सात गुम्बद बनाये गए हैं । जिन पर कलश स्थापना की गई है। उत्तरी गेट पर नया ग्लोसाइन बोर्ड लगाया है जो रात्रि में बहुत सुंदर लगता है। उत्तरी गेट से मुख्य द्वार तक नया टीन शेड डाला गया है जिसमें पंखे और लाइटें लगाई गई हैं जिसके चलते अब श्रद्धालुओं को गर्मी और बरसात के मौसम में दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। आचार्य मुन्नालाल श्रीमाली ने बताया कि जिला जज के निर्देशन में ललिता देवी मंदिर का विकास कार्य किया जा रहा है, आने वालों श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए विकास कार्य किये जा रहे हैं।

सात माह के बडे लम्बे इंतजार के बाद फिर कर सकेंगे दर्शन

लगभग सात महीने के लंबे इंतजार के बाद श्रद्धालुओं ने पुरुषोत्तम मास की अमावस्या पर नैमिषारण्य के ललिता देवी मंदिर, चक्रतीर्थ समेत विभिन्न पौराणिक देवस्थलों पर माथा टेका। पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में श्रद्धालुओं ने सोशल डिस्टेंसिग का पालन करते हुए देवस्थलों पर दर्शन पूजन किया। देर रात से ही बसों और निजी वाहनों से श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया था। ब्रह्ममुहूर्त में ही श्रद्धालुओं ने चहलकदमी प्रारंभ कर दी।

तीर्थ नैमिषारण्य का अमावस्या पर्व काफी प्रसिद्ध मासिक त्यौहार है जिसका श्रद्धालुओं समेत स्थानीय पुरोहितों और दुकानदारों का बेसब्री से इंतजार रहता है। किन्तु वैश्विक महामारी कोविड 19 के बढ़ते प्रकोप के चलते तीर्थ सभी मदिंर और धार्मिक स्थल भक्तों के दर्शनार्थ बन्द कर दिये गये थे। जिस कारण श्रद्धालओं को दर्शन सुलभ नहीं हो पा रहे थे। सात माह के बडे लम्बे इंतजार के बाद इस बार श्रद्धालुओं ने तीर्थ के प्रमुख दर्शनीय स्थलों ललिता देवी मंदिर, कालीपीठ, हनुमान गढ़ी, सूत गद्दी, व्यासगद्दी, देवपुरी, मंदिर बाला जी मंदिर, रुद्रावर्त, देवदेवेश्वर, महाकाली मनसा देवी मंदिर समेत अनेक मंदिरों में माथा टेका एवं मनौतियां मांगी।

मां ललिता देवी मंदिर

नवरात्रि में आदिशक्ति ललिता देवी मंदिर के दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु अन्य जनपदों एवं प्रान्तों से श्रद्धालु आते हैं। श्रीदुर्गा कवच में ‘हृदये ललिता देवी’ ललिता देवी को हृदय की रक्षा करने वाली शक्ति के रूप में बताया गया है।

यहां हृदय से मनोकामना मांगने वालों के कार्य मां सिद्ध करती हैं। इस पौराणिक मंदिर की बनावट अपने आप मे अद्भुत है इसके चारों कोनों पर छोटे छोटे गुम्बद बने हुए है । मंदिर के अंदर लिंगधारिणी माँ ललिता का श्री विग्रह है और पास में ही श्री ललितेश्वर महादेव का शिवलिंग स्थापित है वहीं मन्दिर के मुख्य गर्भगृह में ऊपर दुर्गा और काली की मूर्तियां बनी हुई है । मंदिर की पूर्व की ओर पंचप्रयाग तीर्थ स्थापित है।