उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि विद्यार्थियों में वैज्ञानिक रूचि विकसित किया जाना चाहिए। देश की आजादी के बाद के वर्षों में महिलाओं को अधिकारों से वंचित रखा गया। शिक्षा अधिकार कानून पूरे देश में लागू हो गया लेकिन जम्मू- कश्मीर में लागू नहीं था।
अगस्त 2019 के बाद स्थिति में बदलाव आया और जम्मू-कश्मीर में 890 केंद्रीय कानून लागू किए गए। पिछले दो वर्षों के दौरान गुणवत्ता वाली शिक्षा उपलब्ध करवाने के प्रयास किए गए। देवकी आर्या पुत्री पाठशाला, श्रीनगर के वार्षिक दिवस समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 1910 में शुरू हुआ यह स्कूल समाज के कमजोर तबके की छात्राओं को शिक्षा उपलब्ध करवा रहा है। स्कूल ने यह सुनिश्चित बनाया है कि गुणवत्ता वाली शिक्षा की पहुंच विद्यार्थियों तक उपलब्ध करवाई जा सके।
जम्मू-कश्मीर के भविष्य के लिए बेहतर व समावेशी शिक्षा को बुनियाद के लिए अहम करार देते हुए उन्होंने कहा कि स्कूली शिक्षा में नई सोच विकसित करने की जरूरत है। विद्यार्थियों में वैज्ञानिक रूचि को विकसित किया जाए और एक एक को परामर्श दिया जाए। सभी क्षेत्र में काबिल विद्यार्थी नवीनीकरण और विकास का इंजन बन सकते हैं। महिलाओं की भूमिका का जिक्र करते हुए उपराज्यपाल ने कहा कि राष्ट्र निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में जम्मू कश्मीर की महिलाओं ने योगदान दिया है। कव्वालियों के हमले के दौरान महिलाओं ने लोगों को एकजुट रखने में अहम भूमिका निभाई थी।
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पंडित मदन मोहन मालवीय को याद करते हुए उन्होंने कहा कि महिला शिक्षा व सशक्तिकरण में मालवीय ने बहुत काम किया और वह विश्वास करते थे कि हमारे देश की महिलाएं किसी से कम नहीं हैं। महिलाओं का पुरुषों के बराबर सम्मान करना चाहिए। आओ स्कूल चलें अभियान के तहत प्रशासन ने एक साल में 1.65 लाख विद्यार्थियों को स्कूल लाया। तलाश ऐप के जरिए ऐसे विद्यार्थियों की पहचान की गई जो स्कूल नहीं जा रहे हैं या पढ़ाई बीच में छोड़ गए हैं। अब तक ऐसे 86 हजार विद्यार्थियों की पहचान की गई है। अब उन्हें स्कूल भेजा जा रहा है। कोरोना की चुनौती के बावजूद अर्ली चाइल्ड एजुकेशन पालिसी के तहत 1.24 लाख विद्यार्थियों का पंजीकरण किया गया और इस साल 2000 केजी स्थापित किए जाएंगे। इस साल 14 हजार लड़कियों को नीट की कोचिंग दी जाएगी। इसका खर्च प्रशासन उठाएगा। स्कूल की चेयरपर्सन वीना चंडहोक ने स्कूल की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।