बाबा विश्वनाथ की नगरी में निभाई गई 357 साल पुरानी प्रथा, मथुरा-वृंदावन में आज बरसेंगे फूल

बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के साथ होली का जश्न शुरू हो गया है। यहां फिजा में हर ओर अबीर गुलाल उड़ रहा है। बाबा के भक्तों पर होली का खुमार छाया है। हर ओर हर-हर महादेव के उद्घोष सुनाई पड़ रहे हैं।

उधर, मथुरा-वृंदावन में भी होली उत्सव का खुमार अपने चरम पर है। मान्यता है कि बाबा विश्वनाथ रंगभरी एकादशी के दिन ही मां पार्वती का हिमालय से गौना करा कर अपनी नगरी काशी पहुंचे थे। महाशिवरात्रि पर जहां बाबा के विवाह की रस्में निभाई जाती हैं, वहीं रंगभरी एकादशी पर बाबा विश्वनाथ और माता गौरा के गवना की रस्में निभाने की परंपरा है। काशी में यह परंपरा 357 साल से भी ज्यादा समय से निभाई जा रही है।

इस मौके पर बाबा की पालकी को काशी की गलियों से होते हुए काशी विश्वनाथ मंदिर तक ले जाया जाता है। हवा में चारों ओर गुलाल उड‍़ता है। इस बार बाबा के साथ होली खेलने के लिए गुलाब से तैयार 151 किलो गुलाल मंगवाया गया। पहले 51 किलो ही गुलाल मंगवाया जाता था। कोरोना महामारी के बावजूद यहां के लोगों में भी होली को लेकर गजब का उत्साह है। अब से होली तक यहां के लोग जमकर रंग और गुलाल से खेलेंगे।

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मथुरा-वृंदावन में आज फूलों की होली मथुरा-वृंदावन में भी होली का खुमार अपने चरम पर है। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भक्तों ने जमकर गुलाल उड़ाया। उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने बांके बिहारी मंदिर पहुंचकर माथा टेका और इसके बाद होली उत्सव कार्यक्रम में शामिल हुईं।

मथुरा में भी जगह-जगह होली उत्सव के आयोजन हो रहे हैं। नंदगांव की हरियारिनों ने कल बरसाना के हुरियारों के संग लठ्ठमार होली खेली। आज 25 मार्च को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान और मथुरा के ही श्रीद्वारकाधीश मंदिर में फूलों की होली खेली जाएगी।