जीबीडी रिपोर्ट का दावा, भारत की 100 प्रतिशत आबादी प्रदूषित हवा में सांस लेने को मजबूर

वायु प्रदूषण के आंकड़ों और तथ्यों के साथ ग्लोबल बर्डन ऑफ डीजीस के वैश्विक रिपोर्ट आज दुनिया भर में एक साथ जारी की गयी। वर्ष 2019 के अध्ययन के आधार पर जारी की गयी इस रिपोर्ट में दुनिया भर के 116 देशों में लगे 10 हज़ार 4 सौ 8 वायु प्रदूषण मापन इकाईयों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर इस रिपोर्ट का संकलन और प्रकाशन किया गया है। इस रिपोर्ट के आधार पर भारत विश्व में प्रदूषित देशों के पायदान में पहले नंबर पर पाया गया, जहां देश की सम्पूर्ण आबादी वायु प्रदूषण के चपेट में जीवन जीने को बाध्य है।

ज्ञात हो कि जीबीडी की यह वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट हेल्थ इफेक्ट इंस्टिट्यूट और इंस्टिट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवलुएशन द्वारा हर वर्ष साझे रूप से जारी की जाती है। सौ से अधिक देशों में वर्ष भर मिले वायु गुणवत्ता के आंकड़ों के आधार पर जारी होने वाली यह रिपोर्ट तथ्यात्मक और भरोसेमंद मानी जाती है।

इस रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया कि भारत में पिछले एक दशक में वायु प्रदूषण का स्तर निरंतर बढ़ता जा रहा है, जीबीडी की यह ताजा तरीन रिपोर्ट भी बताती है कि देश में वायु प्रदूषण का प्रति व्यक्ति औसत 6।5 माइक्रोग्राम बढ़ा है, और विश्व के 116 देशों की तुलना में सबसे ज्यादा बढ कर 83 माइक्रोग्राम प्रति व्यक्ति तक पहुँच चुका है, जिसे भारत सरकार के मानकों के अनुसार अधिकतम 60 माइक्रोग्राम तक होना चाहिये था।

उन्होंने आगे कहा कि यह आंकड़े बताते है कि भारत की सौ प्रतिशत आबादी भारत सरकार के मानकों के आधार पर भी, और विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के आधार पर भी, प्रदूषत हवा में सांस लेने के मजबूर हो चुकी है। इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि अफ्रीका और एशिया महादेश के राष्ट्रों में वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा संकट है, जिसमे भारत, नेपाल, नाइजर, क़तर, नाइजीरिया, इजिप्ट शीर्ष 6 प्रदूषित देश हैं, जबकि बांग्लादेश और पाकिस्तान को क्रमशः नौवां और दसवां स्थान मिला है।

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वायु प्रदूषण जनित बीमारियों और उनसे होने वाली मौतों के आंकड़ों के बारे में रिपोर्ट के हवाले से एकता शेखर ने बताया कि अफ्रीका और एशिया के देशों में खराब हवा के कारण वर्ष 2019 में 5 लाख से अधिक नवजात बच्चों की मौत अपने जन्म से एक माह के भीतर हो गयी। एक माह की उम्र पूरा करने से पहले ही वायु प्रदूषण जनित बीमारियों से वर्ष 2019 में अकेले भारत में ही एक लाख से अधिक बच्चों की मौत हुई। पुरी दुनिया में इन बीमारियों से कूल 67 लाख मौते हुईं, जिन्हें वायु प्रदूषण का स्तर कम कर के बचाया जा सकता था। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में असमय / अकाल मौतों का सबसे बड़ा कारण अब वायु प्रदूषण जनित बीमारियाँ ही हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि वायु प्रदूषण से पहले से ही कमजोर हो चुके भारतीय जनता के फेफड़े पर कोविड 19 का गहरा असर पड़ने की आशंका है।

जीबीडी द्वारा जारी रिपोर्ट को विस्तार से https://www.stateofglobalair.org/  वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है.