कल से नौ दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी, जिसमे देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों की आराधना की जाती है। प्रतिपदा तिथि भले ही आज शुरू हो गयी है, लेकिन कलश स्थापना कल ही की जाएगी। कलश स्थापना कल दोपहर11 बजकर 58 मिनट से पहले कर लें। आइए जानते हैं कलश स्थापना का सही मुहूर्त और कलश स्थापना करने की सही विधि-
कलश स्थापना विधि-
सबसे पहले घर के उत्तर-पूर्वी हिस्से में किसी निर्धारित स्थान की सफाई कर वहां पर उत्तर-पूर्व कोने में जल छिड़ककर साफ मिट्टी या बालू रखनी चाहिए। उस साफ मिट्टी या बालू पर जौ की परत बिछानी चाहिए। उसके ऊपर पुनः साफ मिट्टी या बालू की साफ परत बिछानी चाहिए और उसका जलावशोषण करना चाहिए। यानि उसके ऊपर जल छिड़कना चाहिए। उसके ऊपर मिट्टी या धातु के कलश की स्थापना करनी चाहिए। कलश को गले तक साफ, शुद्ध जल से भरना चाहिए और उस कलश में एक सिक्का डालना चाहिए। अगर संभव हो तो कलश के जल में पवित्र नदियों का जल जरूर मिलाना चाहिए।
इसके बाद कलश के मुख पर अपना दाहिना हाथ रखकर-
गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वती!
नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
इस मंत्र का जप करना चाहिए, अगर मंत्र याद न हो तो बिना मंत्र के ही गंगा, यमुना, कावेरी, गोदावरी, नर्मदा, आदि पवित्र नदियों का ध्यान करते हुए, उन नदियों के जल का आह्वान उस कलश में करना चाहिए और ऐसा भाव करना चाहिए कि सभी नदियों का जल उस कलश में आ जाए। साथ ही वरुण देवता का भी आह्वाहन करना चाहिए कि वो उस कलश में अपना स्थान ग्रहण करें।
इसके बाद कलश के मुख पर कलावा बांधना चाहिए और एक ढक्कन या परई या दियाली या मिट्टी की कटोरी, जो भी आप उसे अपनी भाषा में कहते हों और जो भी आपके पास उपलब्ध हो, उससे कलश को ढक देना चाहिए। अब ऊपर ढकी गयी कटोरी में जौ भरना चाहिए। यदि जौ न हो तो चावल भी भर सकते हैं। इसके बाद एक जटा वाला नारियल लेकर उसे लाल कपड़े से लपेटकर, ऊपर कलावे से बांध देना चाहिए। इस प्रकार बांधे हुए नारियल को जौ या चावल से भरी हुई कटोरी के ऊपर स्थापित करना चाहिए।
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इन बातों का रखें ध्यान-
कुछ लोग कलश के ऊपर रखी गयी कटोरी में ही घी का दीपक जला लेते हैं। ऐसा करना उचित नहीं है। कलश का स्थान पूजा के उत्तर-पूर्व कोने में होता है जबकि दीपक का स्थान दक्षिण-पूर्व कोने में होता है। अतः कलश के ऊपर दीपक नहीं जलाना चाहिए।
दूसरी बात ये है कि कुछ लोग कलश के ऊपर रखी कटोरी में चावल भरकर उसके ऊपर शंख स्थापित करते हैं, आप ऐसा कर तो सकते हैं। बशर्ते की शंख दक्षिणावर्ती होना चाहिए। उसका मुंह ऊपर की ओर रखना चाहिए और चोंच अपनी ओर करके रखनी चाहिए। इस दौरान नवार्ण मंत्र का जप करते रहना चाहिए।
नवार्ण मंत्र है-
“ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”