नई दिल्ली। मोबाइल तकनीक तेजी से बदल रही है और अब सिम कार्ड का कॉन्सेप्ट भी डिजिटल हो चुका है। इसी बदलाव का नाम है e-SIM यानी एम्बेडेड सब्सक्राइबर आइडेंटिटी मॉड्यूल। आजकल कई नए और प्रीमियम स्मार्टफोन, टैबलेट और स्मार्टवॉच में e-SIM सपोर्ट मिलने लगा है। ऐसे में यूजर्स के मन में सवाल उठना लाजमी है कि आखिर e-SIM होती क्या है और यह आम फिजिकल सिम से कितनी अलग है।
क्या होती है e-SIM?
e-SIM एक वर्चुअल सिम होती है, जो डिवाइस के अंदर ही फिट रहती है। इसे बाहर से न तो डाला जाता है और न ही निकाला जाता है। टेलीकॉम कंपनी इसे डिजिटल तरीके से एक्टिवेट करती है। यानी अब प्लास्टिक सिम कार्ड रखने की जरूरत खत्म होती जा रही है।
कैसे काम करती है e-SIM टेक्नोलॉजी?
e-SIM को फोन की सेटिंग्स के जरिए एक्टिव किया जाता है। इसमें सिम ट्रे खोलने या पिन इस्तेमाल करने की झंझट नहीं रहती। एक्टिव होने के बाद यह बिल्कुल सामान्य सिम की तरह कॉल, मैसेज और मोबाइल डेटा की सुविधा देती है। चूंकि यह फोन के अंदर फिक्स होती है, इसलिए कंपनियों को डिवाइस में ज्यादा स्पेस मिल जाता है, जिसका इस्तेमाल बड़ी बैटरी या नए हार्डवेयर फीचर्स के लिए किया जा सकता है। भारत में जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया जैसी कंपनियां पहले से e-SIM सर्विस दे रही हैं।
e-SIM के बड़े फायदे
e-SIM का सबसे बड़ा फायदा इसकी सुविधा है। नेटवर्क बदलने के लिए न तो सिम निकालनी पड़ती है और न ही स्टोर जाना पड़ता है। पूरा प्रोसेस डिजिटल होता है। कई स्मार्टफोन एक साथ कई e-SIM प्रोफाइल सेव करने की सुविधा देते हैं, जिससे ट्रैवल के दौरान या नेटवर्क कमजोर होने पर आसानी से स्विच किया जा सकता है। इसके अलावा सिम खोने, टूटने या खराब होने का डर भी नहीं रहता। सिम ट्रे न होने से फोन ज्यादा डस्ट और वॉटर रेजिस्टेंट भी बनता है।
e-SIM की सीमाएं भी जान लें
फायदों के साथ e-SIM की कुछ कमियां भी हैं। फिजिकल सिम वाले फोन में डिवाइस खराब होने पर सिम निकालकर दूसरे फोन में डालना आसान होता है, लेकिन e-SIM में ऐसा संभव नहीं है। फोन खराब होने की स्थिति में टेलीकॉम कंपनी से संपर्क कर दोबारा नंबर एक्टिवेट कराना पड़ता है, जिसमें कभी-कभी समय लग सकता है। कुछ यूजर्स सॉफ्टवेयर आधारित सिम होने के कारण प्राइवेसी को लेकर भी सवाल उठाते हैं।
सिक्योरिटी के मामले में कितनी सुरक्षित?
सुरक्षा के लिहाज से e-SIM और फिजिकल सिम लगभग एक जैसी मानी जाती हैं। 3G, 4G और 5G मोबाइल नेटवर्क आमतौर पर पब्लिक Wi-Fi से ज्यादा सुरक्षित होते हैं। मोबाइल नेटवर्क पर भेजा जाने वाला डेटा एन्क्रिप्टेड रहता है, जिससे इसे हैक करना आसान नहीं होता। यानी e-SIM इस्तेमाल करने से सुरक्षा का खतरा अलग से नहीं बढ़ता।
e-SIM या फिजिकल सिम, क्या है बेहतर?
e-SIM या फिजिकल सिम में से कौन बेहतर है, यह आपकी जरूरत पर निर्भर करता है। अगर आप आसान सेटअप, जल्दी नेटवर्क बदलने और मॉडर्न डिजाइन चाहते हैं, तो e-SIM बेहतर विकल्प है। वहीं, अगर आप सादगी, हर जगह उपलब्धता और तुरंत सिम बदलने की सुविधा पसंद करते हैं, तो फिजिकल सिम आपके लिए सही रहेगी। दोनों ही मामलों में डेटा और नेटवर्क सेटिंग्स का बैकअप रखना समझदारी है।
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