क्यों किया जाता है माघ माह में गंगा स्नान? जानिए कथा

माघ माह का प्रारंभ हो चुका है, इस वक्त प्रयाग नगरी में भक्तों की भारी भीड़ देखी जाती है। कहते हैं कि इस माह में गंगा स्नान जरूर करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से इंसान के सारे पापों का अंत हो जाता है और उसके सारे कष्टों का अंत भी होता है, इस माह में केवल गंगा स्नान ही बल्कि दान-पुण्य का भी काफी महत्व है, जिसके पीछे एक बड़ी ही रोचक कथा है, जिसे हर किसी को जानना काफी जरूरी है।

गौतम ऋषि को इंद्रदेव पर गुस्सा आ गया

दरअसल ऐसा माना जाता है कि एक बार गौतम ऋषि को इंद्रदेव पर गुस्सा आ गया था, जिसकी वजह से ऋषि ने उन्हें श्राप दे दिया था लेकिन इसके बाद इंद्रदेव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने तुरंत गौतम ऋषि से माफी मांगी, जिस पर गौतम ऋषि ने कहा कि अब मैंने तो श्राप दे दिया इसे वापस नहीं लिया जा सकता है लेकिन अगर तुम माघ माह में प्रयागराज में गंगा स्नान करोगे तो मां गंगे तुम्हारे पापों को दूर कर देंगी और तुम्हें स्नान करने के बाद गरीबों को तिल दान देना होगा, जिससे तुम्हें दुखों से छुटकारा मिल जाएगा।

जिसके बाद इंद्रदेव ने ठीक वैसा ही किया, उन्होंने माघ माह में प्रयागराज में गंगा स्नान किया और स्नान के बाद गरीबों को तिल दान किया, बस इसी के बाद से माघ माह में स्नान और दान का नियम बन गया। अब दौड़ती-भागती जिंदगी में हर किसी के बस का नहीं है कि वो गंगा स्नान करे तो ऐसे में लोगों को पूरे माघ माह में अपने नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर नहाना चाहिए और ईश्वर का ध्यान करना चाहिए और गरीबों को तिल और चावल दान करना चाहिए। ऐसा करने से इंसान पाप मुक्त तो होता ही है साथ ही उसको यश और वैभव की भी प्राप्ति होती है।

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सूर्य को जल अर्पित करें

अगर आप धन-यश के साथ मानसिक सुख और बल की भी चाहत करते हैं तो पूरे माघ माह नहाने और पूजा करने के बाद सूर्य को जरूर जल अर्पित करें वो भी निम्लिखिति मंत्रों के साथ

ॐ श्री भास्कराय नमः ।

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।

ॐ सूर्याय नम: ।

ॐ घृणि सूर्याय नम: ।