प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बेंगलुरु में नादप्रभु केंपेगौड़ा (Nadaprabhu Kempegowda) की प्रतिमा का अनावरण कर दिया है। केम्पेगौड़ा को बेंगलुरु का का संस्थापक कहा जाता है। केंपेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर लगाई गई ये प्रतिमा 108 फीट ऊंची है। प्रसिद्ध मूर्तिकार और पद्म भूषण से सम्मानित राम वनजी सुतार ने डिजाइन किया है। कांग्रेस ने केम्पेगौड़ा की प्रतिमा पर सवाल उठाएं हैं। पांच महीने बाद कर्नाटक में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में ये मुद्दा बड़ा हो सकता है। आइए आपको बताते हैं कि कौन थे नदप्रभु केम्पेगौड़ा क्या है इनकी प्रतिमा से जुड़ा विवाद।
केंपेगौड़ा की प्रतिमा पर कांग्रेस ने उठाए ये सवाल
केम्पेगौड़ा की प्रतिमा का अनावरण होने से पहले ही, इस पर राजनीति शुरू हो गई थी। कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने सवाल उठाया कि केम्पेगौड़ा की मूर्ति बनाने के लिए सरकारी पैसों का इस्तेमाल आखिर क्यों किया गया? केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट को बनाने का जिम्मा बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (BIAL) के पास है। ऐसे में बीआइएएल को ही केम्पेगोड़ा की प्रतिमा का खर्च वहन करना चाहिए था। बता दें कि एयरपोर्ट परिसर में केम्पेगौड़ा की प्रतिमा के अलावा 23 एकड़ में बना एक थीम पार्क भी है जिसकी लागत लगभग 84 करोड़ रुपये बताई जा रही है।
कौन हैं नादप्रभु केंपेगौड़ा
नादप्रभु केंपेगोड़ा 1537 में बेंगलुरु की स्थापना की थी। वह विजयनगर साम्राज्य के शासक थे। ऐसा कहना जाता है कि 15वीं सदी में उनका केम्पेगोड़ा परिवार तमिलनाडु के कांची से कर्नाटक आ गया और विजयनगर साम्राज्य का शासन संभाला। सन् 1513 में केम्पेगौड़ा को पिता की विरासत को संभालने का अवसर मिला, जिसे वह काफी आगे तक ले गए। उन्होंने विजयनगर साम्राज्य पर लगभग 46 साल तक शासन किया था। इसी दौरान केम्पेगौड़ा ने एक सुंदर शहर का निर्माण किया।
शिकार के दौरान बेंगलुरु शहर की कल्पना की…!
ऐसा उल्लेख मिलता है कि बेंगलुरु शहर बसाने का विचार केम्पेगोड़ा को शिकार के दौरान आया था। केम्पेगौड़ा अपने मंत्री वीरन्ना और सलाहकार गिद्दे गौड़ा के साथ शिकार पर गए थे, इस दौरान उन्होंने एक ऐसा शहर बनाने के बारे में सोचा, जहां किले, छावनी, मंदिर और कारोबार करने के लिए बड़ा बाजार हो। इस कल्पना को मूर्त रूप देने के लिए केम्पेगौड़ा ने पहले शिवगंगा रियासत पर जीत हासिल की और बाद में डोम्लूर को भी जीत लिया। बता दें कि डोम्लूर पुराने बेंगलुरु एयरपोर्ट की सड़क पर स्थित है। केम्पेगौड़ा ने सन 1537 में बेंगलुरु किले का निर्माण किया और एक ऐसा शहर बसाया जो आज भी हमारे सामने है।
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केंपेगोड़ा की प्रतिमा में क्या है खास?
एयरपोर्ट परिसर में लगी केंपेगोड़ा की 108 फीट ऊंची प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। प्रसिद्ध मूर्तिकार राम वनजी सुतार ने डिजाइन किया है। बता दें कि सुतार ने ही गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा को डिजाइन किया था। केम्पेगोड़ा की प्रतिमा का वजन 218 टन है। प्रतिमा में 98 टन कांस्य और 120 टन स्टील का प्रयोग किया गया है। प्रतिमा की तलवार का वजन ही 4 टन है। कहा जा रहा है कि किसी शहर के संस्थापक की ये सबसे ऊंची प्रतिमा है।