बतौर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। 10 अगस्त का वेंकैया नायडू का कार्यकाल बतौर उपराष्ट्रपति खत्म हो रहा है। ऐसे में राज्यसभा के चेयरमैन के तौर पर वेंकैया नायडू को सदन के सदस्यों ने बधाई दी। इस दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने जिस तरह से वेंकैया नायडू को विदाई देते हुए पहले प्यार का जिक्र किया और उसके जवाब में वेंकैया नायडू ने दिलचस्प बात कही वह काफी चर्चा में है। जिस तरह से राघव चड्ढा ने पहले प्यार का जिक्र किया और इसके बाद वेंकैया नायडू और राघव चड्ढा के बीच सदन में संवाद हुआ उसे सुनकर सदन में लोग अपनी हंसी नहीं रोक सके।
पहले प्यार का किया जिक्र
राघव चड्ढा ने वेंकैया नायडू को बधाई देते हुए कहा हर व्यक्ति को अपना पहला अनुभव याद होता है, स्कूल का पहला दिन, पहला स्कूल प्रिंसिपल, पहली टीचर, पहला प्यार। इस सदन में जब मैं आया तो मेरे पहले चेयरमैन के रूप में मैं सदैव आपको याद रखूंगा। यह मेरा सौभाग्य है कि जब मैंने अपने संसदीय जीवन की शुरुआत की तो मुझे आपका संरक्षण प्राप्त था। लेकिन यह मेरा दुर्भाग्य है कि आपके संरक्षण में मैं सिर्फ एक ही सत्र में काम करने का मौका मिला। मेरी शपथ के दिन आपने मुझे अनुशासन का अहम पाठ पढ़ाया था।
पहले दिन पहुंचे थे देरी से
दरअसल बतौर राज्यसभा सदस्य राघव चड्ढा जब पहले दिन सदन पहुंचे तो वह सदन पहुंचने में लेट हो गए। इसका जिक्र करते हुए राघव ने कहा, मैं पहले दिन सदन में आने से पहले अपने माता-पिता के साथ गुरुद्वारा गया था, ट्रैफिक भी था, जिसकी वजह से सदन में आने में मुझे 8-10 मिनट देर भी हो गई। लेकिन तबतक शपथ ग्रहण समारोह समाप्त हो गया था। आप चले गए थे, लेकिन मेरी अपील पर आप वापस आए और मुझे अनुशासन का पाठ पढ़ाया और इसके साथ ही मेरी शपथ कराई।
समानता का किया जिक्र
वेंकैया नायडू और खुद में समानता का जिक्र करते हुए राघव चड्ढा ने कहा कि सर इसके साथ-साथ मैं बस इतना कहना चाहूंगा कि आपकी जो यात्रा रही, वह कहीं ना कहीं हम लोगों की यात्रा से मेल खाती है। आप भी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से आए हैं, आप जेपी आंदोलन से आए, आप एक समिति के भी अध्यक्ष रहे। हम भी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से आए, इस आंदोलन के जरिए ही हमारी पार्टी का गठन हमारे नेता अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में हुआ। मेरे और आपके राजनीतिक जीवन में यह समानता है।
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वेंकैया नायडू को बताया प्रेरणास्रोत
वेंकैया नायडू की तारीफ करते हुए राघव ने कहा कि आपकी जो एक यात्रा रही वो हम सारे युवाओं के लिए खासकर प्रेरणास्रोत है। एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर एक विधायक, सांसद, मंत्री और फिर उपराष्ट्रपति के तौर पर आपने अपना कार्यभार संभाला। राज्यसभा का पहला सत्र जब 1952 में हुआ था तो उस वक्त के चेयरमैन डॉक्टर राधाकृष्णन ने कहा था मैं किसी दल से नहीं आता हूं, इसका मतलब है कि मैं सभी दल से हूं। मेरा प्रयास होगा कि लोकतंत्र की शीर्ष परंपरा का पालन करूं, सभी दलों के साथ निष्पक्ष होकर काम करूंगा।