दिल्ली के महाराष्ट्र सदन घोटाले में महाराष्ट्र के मंत्री छगन भुजबल को बड़ी राहत मिली है। घोटाले के आरोप झेल रहे छगन भुजबल, उनके पुत्र एवं भतीजे समेत छह लोगों को मुंबई की एक अदालत ने गुरुवार को बरी कर दिया। राकांपा के वरिष्ठ नेता भुजबल फिलहाल खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री हैं। अदालत के निर्णय के बाद भुजबल ने कहा कि सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं।

भुजबल पर अंजली दमानिया ने लगाए थे गंभीर आरोप
वर्ष 2005-06 में दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण कार्य में घोटाले का आरोप सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने लगाया था। इस मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने की थी। राकांपा नेता छगन भुजबल को तीन साल तक जेल में रहना पड़ा था। सत्र न्यायालय ने गुरुवार को इस मामले में छगन भुजबल, उनके बेटे पंकज भुजबल, भतीजे समीर भुजबल, तनवीर शेख और इमरान शेख समेत छह आरोपितों को मामले से बरी करने आदेश जारी किया है।
अदालत ने निर्णय के बाद भुजबल राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से मिले। भुजबल ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें इस मामले में अनायास परेशान करने का राजनीतिक प्रयास किया गया था। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का जिक्र किए बिना कहा कि उनकी राजनीति को समाप्त करने का प्रयास तो किया गया, लेकिन यह सफल नहीं हो सका।
सामाजिक कार्यकर्ता अंजली दमानिया ने अदालत के फैसले के बाद पत्रकारों को बताया कि सत्र न्यायालय के निर्णय को वे उच्च न्यायालय में चुनौती देंगी। दमानिया ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि राजनीतिक लोगों का कोई भरोसा नहीं रहता है।
यह भी पढ़ें: ओवैसी ने खेला बड़ा सियासी खेल, मुस्लिमों के साथ-साथ दलितों पर भी फेंका जाल
महाराष्ट्र के तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री छगन भुजबल पर आरोप था कि दिल्ली में वर्ष 2005-06 में हुए महाराष्ट्र सदन के निर्माण कार्य का ठेका बिना टेंडर जारी किए ही केएस चमनकर इंटरप्राइजेज को दे दिया था। इसके बदले भुजबुल और उनके परिवार को कंपनी ने पैसा दिया था। इसी बाबत एसीबी में शिकायत की गई थी।
Sarkari Manthan Hindi News Portal & Magazine