परिवहन निगम : चालकों - परिचालकों के पारश्रमिक में होगी वृद्धि

परिवहन निगम : चालकों – परिचालकों के पारश्रमिक में होगी वृद्धि

लखनऊ। परिवहन निगम व इसके कर्मचारियों की 19-सूत्रीय मांगों पर रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद के प्रतिनिधि-मण्डल ने परिवहन निगम के प्रबन्ध निदेशक मासूम अली सरवर की अध्यक्षता में एक लम्बी वार्ता की। बैठक में व्यापक चर्चा के उपरान्त कई मांगों पर सहमति बन गई है। प्रबन्धन ने मृतक आश्रितों की भर्तियों के साथ ही उनकी कई अन्य मांगों को पूरा करने की सहमति दे दी है। वार्ता के दौरान कर्मचारी हितों में कई अहम निर्णय लिए गए।

रोडवेज कर्मचारी परिषद के महामंत्री गिरीश चन्द्र मिश्र ने बताया कि निगम बोर्ड से पारित व शासन में लम्बित 8 प्रतिशत (38-46 प्रतिशत) मंहगाई भत्ते की स्वीकृति अतिशीघ्र कराई जायेगी तथा शेष 4 प्रतिशत (46-50 प्रतिशत) मंहगाई भत्ता निगम बोर्ड की आगामी बैठक में स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया जायेगा। जबकि सातवें वेतनमान का 01 जनवरी 2016 से 31 मार्च 2018 तक का बकाया एरियर के भुगतान की कार्ययोजना बनाने हेतु वित्त नियंत्रक को निर्देशित किया गया है।

रोडवेज परिषद के महामंत्री गिरीश चन्द्र मिश्र ने बताया कि एनसीआर सहित सभी संविदा चालकों-परिचालकों के पारिश्रमिक में वृद्धि करने का आश्वासन दिया गया है और विन्धनगर डिपो के संविदा चालकों की पारिश्रमिक की दरों को एनसीआर व गोरखपुर क्षेत्र के बाॅर्डर के डिपोज़ की भाँति बढ़ोत्तरी करने पर सहमति व्यक्त की गई है। उन्होंने बताया कि 31 दिसम्बर 2001 तक नियुक्त संविदा चालकों-परिचालकों व दैनिक वेतन भोगी कर्मियों के नियमितीकरण के आदेश शासन से शीघ्र प्रसारित कराने हेतु आश्वस्त किया गया है।

रोडवेज परिषद के महामंत्री गिरीश चन्द्र मिश्र ने बताया कि 50 प्रतिशत से कम लोडफैक्टर आने पर संविदा चालकों और परिचालकों के प्रोत्साहन राशि की एक-तिहाई कटौती न किये जाने तथा इन्हें ई0एस0आई0/चिकित्सा सुविधा प्रदान करने पर विचार करने हेतु एक समिति गठित कर निर्णय लिया जायेगा।

इसके अलावा किमी. आधारित पारिश्रमिक पाने वाले संविदा चालकों-परिचालकों की ईपीएफ कटौती हेतु निर्धारित वेतन (6500/- व 5500/-) पर पुर्नविचार हेतु प्रधान प्रबन्धक (कार्मिक) व उप मुख्यलेखाधिकारी को अधिकृत किया गया तथा संविदा चालकों-परिचालकों के लिए लागू दुर्घटना बीमा के स्थान पर जीवन बीमा (टर्म पाॅलिसी) लागू करने के सम्बन्ध में विभिन्न बीमा कम्पनियों से चर्चा करने व प्रस्ताव प्रस्तुत करने हेतु उप मुख्यलेखाधिकारी को निर्देशित किया गया। रोडवेज परिषद के महामंत्री गिरीश चन्द्र मिश्र ने बताया कि संविदा चालकों-परिचालकों से प्रत्येक वर्ष किये जाने वाले अनुबन्ध-पत्र भरने की लागू नवीन व्यवस्था को समाप्त कर पूर्व में लागू व्यवस्था के बहाली के आदेश आज ही जारी किये जा रहे है।

मृतक आश्रितों की भर्ती के लिए शासन से जल्द मंजूरी की उम्मीद
रोडवेज परिषद के महामंत्री गिरीश चन्द्र मिश्र ने बताया कि मृतक आश्रितों की नियुक्ति सम्बन्धी आदेश शासन से आगामी एक माह के अन्दर जारी कराने हेतु आश्वस्त किया गया। साथ ही प्रदेश से बाहर के स्थानों पर तैनात कार्मिकों का मकान किराया भत्ता पुनरीक्षित करने के आदेश अतिशीघ्र शासन में पैरवी कर प्रसारित कराये जायेंगे। इसके अलावा वेतन विसंगतियों का निवारण तथा प्रोन्नति/संवर्गीय ढाँचे के पुनर्गठन (विशेषकर कार्यालय सहायक, कैशियर व स्टोर्स के ऐसे पद जिनमें प्रोन्नति के रास्ते बन्द हैं) आदि हेतु कमेटी गठन कर निर्णय लिया जायेगा।

रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया गतिशील
अवगत रोडवेज परिषद के महामंत्री गिरीश चन्द्र मिश्र ने बताया कि सीधी भर्ती के कई रिक्त पदों पर नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया शासन स्तर पर गतिशील है। इसके अतिरिक्त तत्काल व्यवस्था हेतु बीएस-6 बसों की मरम्मत हेतु योग्य/अनुभवी इंजीनियर निगम स्तर पर आबद्ध करने पर विचार किया जायेगा। जबकि लिपिकीय संवर्ग एवं कार्यशालाओं में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों के पारिश्रमिक में वृद्धि पर सकारात्मक निर्णय लेने हेतु आश्वस्त किया गया है। निगम प्रबंधन ने संविदा सहित सभी चालकों-परिचालकों को देय रात्रि/दिन हाल्ट भत्ता तथा कार्यशाला कर्मियों को देय रात्रि पाली व प्रदूषण भत्ता की दरें बढ़ाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया की संविदा सहित सभी वर्दीधारी कर्मचारियों को शीघ्र वर्दी दी जायेगी।

राष्ट्रीय पर्व के दिन ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को एक दिन का अतिरिक्त वेतन
राष्ट्रीय पर्व के दिन ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों को एक दिन का अतिरिक्त वेतन देने की पूर्व व्यवस्था लागू की जायेगी। साथ ही निगम प्रमंधन ने भरोसा दिया है कि सामूहिक बीमा योजना व कर्मचारी कल्याण कोष योजना और अधिक लाभदायी बनाने हेतु कमेटी का गठन कर उसके प्रस्ताव के आधार पर सकारात्मक निर्णय लिया जायेगा।

जबकि मार्गों के राष्ट्रीयकरण तथा निगम व निजी बसों के वर्तमान यात्रीकर (अतिरिक्त कर) की दरों में असमानता दूर करने पर शासनस्तर पर गम्भीरतापूर्वक विचार हो रहा है। उम्मीद है कि शीघ्र सकारात्मक निर्णय होगा। वहीं बकाया यात्रीकर की धनराशि अंशपूँजी में परिवर्तित करने और इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर व्यय व आय के ‘‘व्यहार्यता अन्तर (Viability Gap)’’ का राज्य सरकार द्वारा वहन किये जाने पर आश्वस्त किया गया कि इस हेतु शासन में पैरवी की जायेगी, यह निगमहित में है।